केंद्रीय एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर अपने बयान में जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल को शहीद बताया। यहीं नहीं उन्होंने नेताजी को भी शहीद घोषित कर दिया, जबकि बोस की मौत को लेकर बहस अभी तक जारी है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में एक पब्लिक मीटिंग के दौरान जावड़ेकर ने कहा, ‘आजादी की लड़ाई 90 साल पहले 1857 में शुरू हुई और अंग्रेजों (ब्रिटिश) को बाहर फेंकने के साथ खत्म हुई। हमें उन फ्रीडम फाइटर्स- नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, पंडित (जवाहर लाल नेहरू), भगत सिंह और राजगुरू को सलाम करना चाहिए जो फांसी पर चढ़े।’ जब विवाद हुआ तो सफाई में उन्‍होंने कहा, ”मैंने 1857 के बाद के सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रृद्धांजलि दी। मैंने गांधी, नेहरू और सुभाष चंद्र बोस का नाम लिया। इसके बाद फुल स्टॉप लिया (अर्थात् लाइन खत्म)। अपने अगले वाक्य में मैंने उन लोगों को गिनाया जो ब्रिटिशों के हाथों फांसी पर चढ़े, जेल गए या प्रताड़ित हुए। चौथे ट्वीट में उन्होंने लिखा- जिन्होंने सुना उनके दिमाग में कोई शंका नहीं है। मैं उम्मीद करता हूं कि इससे सभी गलतफहमी दूर हो जाएंगी।’

नेहरू की 1964 में 74 साल की उम्र में नेचुरल डेथ हुई थी। वहीं आजाद भारत के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल की मौत 1950 में 75 साल की एज में हुई। सुभाष चंद्र बोस की मौत अभी भी विवाद का मुद्दा बना हुआ है। नेताजी 1945 में ताइवान में हुए फ्लेन क्रैश के बाद से लापता हैं। भगत सिंह और राजगुरू को 1931 में ब्रिटिशों ने मार डाला था।

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इससे पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली के नेताजी को लेकर किए गए ट्वीट को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया था। जेटली ने अपने ट्वीट में नेताजी को ट्वीट पर श्रृद्धांजलि दे दी थी, जिसके बाद बवाल खड़ा हो गया। नेताजी के रिश्तेदारों ने जेटली से माफी मांगने की मांग की थी। नेताजी की मौत भारत के सबसे बड़े रहस्यों में से एक है। नेताजी की मौत पर अभी भी बहस जारी है।