पिछले हफ्ते सभी केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता को लेकर कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने डेटा जुटाने के लिए पत्र लिखा। डीओपीटी द्वारा जारी किए गये इस सर्कुलर में सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले का हवाला दिया गया है।

केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बीच विभिन्न सामाजिक श्रेणियों के प्रतिनिधित्व के आंकड़ों पर कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस साल कई बार संसद में रिपोर्ट पेश की। 17 मार्च को उन्होंने राज्यसभा में बताया कि 43 विभागों और सरकारी कार्यालयों में रेलवे और डाक विभाग जैसे सबसे बड़े केंद्र सरकार के नियोक्ताओं को छोड़कर कैबिनेट सचिवालय, यूपीएससी और चुनाव आयोग शामिल थे।

ग्रुप ए से ग्रुप सी के कर्मचारियों (सफाई कर्मचारियों सहित) की कुल संख्या 5.12 लाख है। इनमें से 17.70% एससी, 6.72% एसटी, 20.26% ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग), और 0.02% ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) हैं। वहीं ग्रुप-ए में, इनमें से उच्चतम स्तर पर, एससी का प्रतिनिधित्व सिर्फ 12.86%, एसटी का 5.64% और ओबीसी का 16.88% है। इन समुदायों के लिए आरक्षण क्रमशः 15%, 7.5% और 27% है।

2 फरवरी को लोकसभा में जितेंद्र सिंह ने जानकारी दी, “सचिवों और विशेष सचिवों में केवल छह एससी और एसटी समाज से हैं। वहीं ओबीसी के बारे में कोई डेटा नहीं रखा जाता है।”

31 मार्च को राज्यसभा में उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए कहा, “91 अतिरिक्त सचिवों में से एससी / एसटी और ओबीसी समुदायों से संबंधित अधिकारियों की संख्या क्रमशः 10 और 4 है। वहीं केंद्रीय स्टाफिंग योजना के तहत विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में 245 संयुक्त सचिवों में से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदायों के अधिकारियों की संख्या क्रमश: 26 और 29 है।

जितेंद्र सिंह ने 3 फरवरी को राज्यसभा में जानकारी दी कि 1 मार्च, 2020 तक केंद्र सरकार के 8,72,243 पद खाली थे। वहीं 1 मार्च, 2019 तक इसकी संख्या 9,10,153 थी। 2018-19 और 2020-21 के बीच 2.65 लाख से अधिक कर्मचारियों की भर्ती की गई। जिसमें यूपीएससी द्वारा 13,238, कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) द्वारा 1,00,330 और रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा 1,51,900 शामिल हैं।

17 मार्च को राज्यसभा में जानकारी देते हुए जितेंद्र सिंह ने 1 जनवरी 2021 तक 10 केंद्रीय विभागों के लिए डेटा पेश किया। जिसमें, रक्षा उत्पादन, रेलवे, वित्तीय सेवाएं, डाक, रक्षा, आवास और शहरी मामलों, गृह मामलों, परमाणु ऊर्जा, राजस्व और शिक्षा शामिल है। सिंह ने कहा कि इन 10 विभागों में केंद्र सरकार के 90 फीसदी से ज्यादा कर्मचारी हैं।

कैबिनेट सचिवालय में आरक्षित और अन्य श्रेणियों के बीच भारी अंतर देखा जा सकता है-

ग्रुप ए में 81 अधिकारियों में से 6 एससी, 1 एसटी, 2 ओबीसी से हैं। वहीं ग्रुप बी में 109 अधिकारियों में से 6 एससी, 6 एसटी, 20 ओबीसी से हैं।

लोक उद्यम विभाग: ग्रुप ए के 30 अधिकारियों में से 5 एससी हैं और एसटी या ओबीसी नहीं।

नीति आयोग: ग्रुप ए के 193 अधिकारियों में 19 एससी, 13 एसटी, 15 ओबीसी हैं।

उच्च शिक्षा विभाग: ग्रुप ए के 221 अधिकारियों में 39 एससी, 23 एसटी, 29 ओबीसी हैं।