तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने रविवार (2 मार्च) को कहा कि वह भारत सरकार के सबसे लंबे समय से मेहमान हैं और अब भारतीय संस्कृति के वाहक बन गए हैं। दलाई लामा ने यहां ‘आधुनिक समय में प्राचीन भारतीय ज्ञान’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा, ‘‘मैं पिछले 58 साल से भारत सरकार का सबसे पुराना मेहमान हूं और भारतीय संस्कृति का वाहक बनकर भारत को लौटा रहा हूं।’’
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल से मैंने खुद को भारत का बेटा कहना शुरू कर दिया है। कुछ साल पहले चीनी मीडिया के कुछ लोगों ने मुझसे आकर पूछा कि मैंने ऐसा क्यों कहा। मैंने उनसे कहा कि मेरे मस्तिष्क का हर हिस्सा नालंदा के विचारों से भरा है। उन्होंने कहा, ‘‘शारीरिक रूप से पिछले 50 साल से अधिक समय से मेरा शरीर भारत की दाल और चपाती पर चल रहा है। इसलिए मैं शारीरिक और मानसिक रूप से भारतीय हूं।’’
Now over 58 yrs, I am longest guest of Indian govt. So, am paying back by becoming messenger of ancient Indian talk, knowledge: Dalai Lama pic.twitter.com/ZHwh2mFicd
— ANI (@ANI_news) April 2, 2017
धर्मनिरपेक्षता की बात करते हुए दलाई लामा ने कहा, ‘‘मैं पूरी तरह सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हूं। समझने की बात है कि कुछ शरारती तत्व समस्या खड़ी करते हैं। उन्होंने कहा कि सभी मतभेदों और समस्याओं को खत्म करने का एकमात्र तरीका है कि हम यह सोचने लगें कि हम सभी मनुष्य हैं।
इसी समारोह में अपनी आत्मकथा ‘माई लैंड एंड माई पीपुल’ के असमिया संस्करण का विमोचन करते हुए तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने कहा कि वह अहिंसा वाले शांतिपूर्ण संसार को लेकर आशान्वित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि मैं अपने जीते जी कोई बदलाव देख पाऊंगा या नहीं, लेकिन मैं आशावादी हूं। शिक्षा के माध्यम से नई पीढ़ी इस बात को समझेगी और दया और प्रेम को प्रोत्साहित करेगी। मानवता का भविष्य मानवता पर ही निर्भर करता है, भगवान पर नहीं।’’
दलाईलामा बोले- 80 साल से ऊपर का होकर भी मैं 70 का दिखता हूं-
एक सवाल का जवाब देते हुए दलाईलामा ने कहा कि वह अपनी ‘सुंदर त्वचा’ का रहस्य अपने पास तक ही सीमित रखना चाहते हैं। मजाक में उन्होंने कहा, ‘‘कई बार लोगों ने मुझसे कहा है कि इतनी अधिक उम्र, मैं 80 साल से ऊपर का हूं, होने के बाद भी मैं 70 का दिखता हूं, क्या रहस्य है इसका। मैं कहता हूं कि यह रहस्य है और मैं आपको नहीं बताऊंगा।’’
उनके इस बयान पर लोग हंस पड़े। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात मन की शांति है। अंदरूनी सुंदरता बाहरी सुंदरता से अधिक महत्वपूर्ण है।’’
दलाईलामा यहां गुवाहाटी विश्वविद्यालय के सभागार में ‘आधुनिक समय में प्राचीन भारतीय ज्ञान’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। उसी दौरान वहां मौजूद महिलाओं की ओर से प्रस्तोता ने उनसे ‘उनकी सुंदर त्वचा’ पर सवाल किया था।