परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश को लेकर चीन की आपत्ति से प्रभावित हुए बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (27 जून) को विश्वास जताया कि देश को जल्द ही समूह की सदस्यता मिलेगी और इसके लिए प्रक्रिया ‘सकारात्मक सोच’ के साथ शुरू हो चुकी है। मोदी ने कहा कि भारत की चीन के साथ कई समस्याएं हैं और उन्हें वार्ता के जरिए एक-एक कर सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं। टाइम्स नाउ को दिए एक साक्षात्कार के दौरान यह पूछे जाने पर कि क्या वह एनएसजी सदस्यता के लिए भारत के प्रयास को चीन द्वारा अवरुद्ध कर दिए जाने से निराश हैं और देश इसे हासिल करने के कितना करीब है, मोदी ने केवल यह कहा कि चीजें नियमों के मुताबिक आगे बढ़ेंगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक के बाद एक सरकारों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, शंघाई सहयोग संगठन, मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) और एनएसजी की सदस्यता पाने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा, ‘सबसे पहली बात यह है कि भारत ने इस तरह के प्रयास लगातार किए हैं चाहे कोई भी सरकार रही हो…चाहे यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, एससीओ या एमटीसीआर की सदस्यता का प्रयास हो या फिर एनएसजी का। हम सभी ने प्रयास किया।’
मोदी ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि केवल इसी सरकार ने ऐसा किया है । यह अनवरत चलता रहा है । यह सच है कि हमारे कार्यकाल में एससीओ हासिल कर लिया गया, एमटीसीआर की सदस्यता हासिल कर ली गई । मुझे पूरा विश्वास है कि हमने एनएसजी (सदस्यता) की दिशा में औपचारिक रूप से प्रयास शुरू कर दिए हैं।’ मोदी ने कहा, ‘प्रक्रिया सकारात्मक सोच के साथ शुरू हो चुकी है । हर चीज अपने खुद के नियमों से संचालित होती है । चीजें नियमों के अनुरूप आगे बढ़ेंगी।’
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मोदी की बार-बार की वार्ता के बावजूद चीन द्वारा भारत के एनएसजी प्रयास तथा आतंकी मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंधित कराने के प्रयासों में रोड़ा अटकाए जाने के बारे में पूछने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उस देश के साथ वार्ता के जरिए मुद्दों को सुलझाने के प्रयास जारी हैं। मोदी ने कहा, ‘चीन से हमारा संवाद जारी है और यह जारी रहना चाहिए। विदेश नीति में, वार्ता के लिए समान विचार रखना आवश्यक नहीं है। यहां तक कि तब भी जब विरोधाभास हो, केवल वार्ता ही आगे का मार्ग होती है और समस्याओं को वार्ता के जरिए सुलझाया जाना चाहिए।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘चीन के साथ हमारी कोई एक समस्या नहीं है, चीन के साथ हमारी बहुत सी समस्याएं लंबित हैं। बहुत से मुद्दे हैं। उनका एक-एक कर समाधान पाने के लिए धीरे-धीरे लगातार प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा कि चीन का रुख भी समाधान ढूंढ़ने की दिशा में सहयोगात्मक रहा है। मोदी ने कहा, ‘लेकिन कुछ मुद्दे हैं जिनमें उनसे हमारे मतभेद हैं और उनके हमसे मतभेद हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि हम अब चीन से आंख से आंख मिलाकर बात कर रहे हैं और भारतीय हितों को साहस के साथ उठा रहे हैं। तीन दिन पहले मैं चीनी राष्ट्रपति से मिला और भारत के हितों से संबंधित मुद्दों को मजबूती से रखा।’
मोदी ने कहा कि यदि उनकी सफल अमेरिका यात्रा को इतना प्रचारित नहीं किया जाता तो एनएसजी मुद्दे पर इतनी आलोचना नहीं होती। उन्होंने कहा, ‘सरकार की आलोचना एनएसजी मुद्दे को ठीक ढंग से नहीं संभाल पाने को लेकर नहीं हो रही है बल्कि इसलिए हो रही है कि हम वहां (अमेरिका में) काफी सफल रहे।’