महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की कड़वाहट को पीछे छोड़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राकांपा नेता शरद पवार के साथ यहां मंच साझा किया। उनके साथ दोपहर का भोजन किया। मोदी ने ऐसा कर राज्य में एक नए संभावित राजनीतिक समीकरण की अटकलों को हवा दी। हालांकि दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि उनके सार्वजनिक तौर पर एक साथ आने के कोई राजनीतिक अर्थ न निकाले जाएं। लेकिन भाजपा के अपने सहयोगी शिवसेना के साथ संबंधों में आए तनाव के बाद इस मुलाकात को अधिक राजनीतिक महत्त्व दिया जा रहा है। मोदी ने पिछले साल अक्तूबर में हुए विधानसभा चुनाव में राकांपा को स्वाभाविक रूप से भ्रष्ट पार्टी बताते हुए लोगों से पवार परिवार के जूए के भार से मुक्त होने की अपील की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शरद पवार के गृह क्षेत्र में संचालित विभिन्न प्रतिष्ठानों से संबंधित कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। मोदी ने पवार परिवार की ओर से संचालित विद्या प्रतिष्ठान का दौरा कर अप्पासाहेब पवार प्रेक्षागृह का उद्घाटन किया। इसका नाम शरद पवार के भाई के नाम पर रखा गया है।
अप्पासाहेब चीनी सहकारी आंदोलन के एक प्रभावशाली नेता रहे हैं। राकांपा नेता को उनकी अधिकतर राजनीतिक ताकत उन्हीं से मिलती है।
मोदी ने केंद्र सरकार के उपक्रम कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित किसानों के सम्मेलन में पवार की प्रशंसा की। मोदी ने वहां सब्जियों के लिए एक उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन किया। मोदी ने पवार की इस बात के लिए प्रशंसा की कि उन्होंने उन्हें बारामती आमंत्रित किया। मोदी ने कहा,‘गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मैंने कई समस्याओं का सामना किया जिसमें भारत सरकार से दिक्कतें शामिल थीं। मैं तब शरद राव को फोन किया करता था। वह पार्टी राजनीति से ऊपर उठकर मेरी मदद करते थे। ऐसा कोई महीना नहीं बीतता जब हमारी दो-तीन बार बात नहीं होती। इनके इस योगदान के लिए मैं यहां इनका बारामती में अभिनंदन करता हूं।’
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मीडियाकर्मियों की मौजूदगी से अवगत मोदी ने कहा, ‘आज मीडिया के लिए विशेष दिन है। वे बारीकी से विश्लेषण करेंगे कि मैंने पहले (चुनाव के दौरान) क्या कहा था और मैं आज क्या कहता हूं। यही लोकतंत्र की सुंदरता है।’ उन्होंने कहा,‘लोकतंत्र दो पटरियों पर काम करता है। इसमें पहले विवाद और दूसरा संवाद। हम अलग अलग एजंडा वाले अलग-अलग राजनीतिक दल हैं। लेकिन हमारे लिए देश पार्टी से ऊपर और शासनकला राजनीति से ऊपर है।’ मोदी ने कहा,‘लेकिन हमारे देश में दो नेताओं की मुलाकात बड़ी खबर बन जाती है। संवाद कभी रुकना नहीं चाहिए और इस मामले में सत्ता में रहने वालों की अधिक जिम्मेदारी है।’
पवार ने भी यह स्पष्ट करने का प्रयास किया कि उनकी एकसाथ मौजूदगी विकास के लिए है। इसके राजनीतिक मतलब नहीं निकाले जाने चाहिए। उन्होंने कहा,‘राजनीति में हम दो दिनों तक लड़ सकते हैं लेकिन बाकी के 363 दिन हमें विकास के लिए समर्पित करने चाहिए। हम आपको आपकी सभी विकास पहलों में समर्थन करने को तैयार हैं।’ पवार ने मोदी को उनके विकास के एजंडा में समर्थन देते हुए उनसे चीनी के निर्यात में बाधाओं को दूर करने और डेयरी किसानों की स्थिति सुधारने में हस्तक्षेप करने की मांग की। पवार ने इसके साथ ही धनगढ़ समुदाय को अनुसूचित जाति की तर्ज पर आरक्षण देने की मांग की। मोदी ने बारामती में चुनाव प्रचार के दौरान इस समुदाय के लिए आरक्षण दिलाने में असफल रहने को लेकर पवार को आड़े हाथ लिया था।
दोनों नेताओं ने हालांकि इस बात की सावधानी बरती कि वे ऐसा कुछ न बोलें जिससे यह प्रदर्शित हो कि वे राजनीतिक रूप से नजदीक आ रहे हैं। लेकिन दोनों के बीच राजनीतिक निकटता बढ़ने की चर्चा है, विशेष रूप से दिल्ली चुनाव में हार के बाद मोदी पर शिवसेना के सार्वजनिक हमले के बाद। शिवसेना मांग कर रही है कि मोदी दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी स्वीकार करें। शिवसेना ने इसके साथ ही सूखा प्रभावित विदर्भ और मराठवाडा में किसानों की समस्याओं और किसानों की आत्महत्याओं को लेकर भाजपा नीत सरकार पर सार्वजनिक हमले किए हैं। राकांपा ने विधानसभा चुनाव के बाद राज्य की अल्पमत भाजपा सरकार को एकतरफा समर्थन की घोषणा की थी।