नरेंद्र मोदी सरकार देश के तीन प्रमुख संस्थानों फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई), सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (एसआरएफटीआई) और दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के “कार्पोरेटाइजेशन” करने की योजना बना रही है। केंद्र सरकार इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) को भी या तो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय या जामिया मिल्लिया इस्लामिया में विलय करना चाहती है। केंद्र सरकार देश के 679 स्वायत्तशासी संस्थानों की समीक्षा के पहले चरण में ये फैसले लिए हैं।
केंद्र सरकार ने इस साल जनवरी में सोसाइटीज ऑफ रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत बनाए गए स्वायत्तशासी संस्थानों की समीक्षा शुरू की थी। इस समीक्षा के पहले चरण में सात मंत्रालयों/विभागों के तहत आने वाले 114 संस्थानों की समीक्षा की गई। समीक्षा के अंत में फैसला लिया गया कि इनमें से 42 को या तो पूरी तरह बंद करके या दूसरे संस्थानों में विलय कराके या कई संस्थानों का समुच्चय बनाकर या कार्पोरेटाइजेशन करके उनकी स्वायत्तता “खत्म” की जाएगी।
इस समीक्षा का नेतृत्व नीति आयोग और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधिकारी कर रहे हैं। पहले चरण में उन मंत्रालयों या विभागों को समीक्षा के लिए चुना गया जिनके तहत ज्यादा संख्या में केंद्र सरकार से आर्थिक मदद पाने वाले स्वायत्तशासी संस्थान हैं। पीएमओ के अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जिन तीन संस्थानों का “कॉर्पोरेटाइजेशन” किया जाएगा वो अधिग्रहण के बाद स्वतंत्र कंपनी या अ स्पेशल पर्पज वेहिकल (एसपीवी) के रूप में काम करेंगे।
68 मंत्रालयों/विभागों के तहत आने वाले इन 679 स्वायत्तशासी संस्थानों के लिए वित्त वर्ष 2017-18 में केंद्र सरकार ने कुल 72,206 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। जिन 42 संस्थानों को “हटाए” जाने का फैसला किया गया है उनमें से 24 को सोसाइटीज ऑफ रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत एक संस्था के अंतर्गत कर दिया जाएगा। दूसरे 11 स्वायत्तशासी संस्थानों का दूसरे संस्थानों के अंतर्गत कर दिया जाएगा। चार को बंद किया जाएगा और तीन का “कार्पोरेटाइजेशन” किया जाएगा।
इस महीने के अंत में नीति आयोग दूसरे चरण की समीक्षा शुरू करने के लिए बैठक करेगा। दूसरे चरण में भी सोसाइटीज ऑफ रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत निर्मित स्वायत्तशासी संस्थानों की समीक्षा की जाएगी। तीसरे चरण में सोसाइटीज ऑफ रजिस्ट्रेशन एक्ट के अलावा विभिन्न मंत्रालयों या विभागों के तहत बनाए गए स्वायत्तशासी संस्थानों की समीक्षा की जाएगी। केंद्र सरकार इन स्वायत्तशासी संस्थानों की जगह नए सेंटर ऑफ एक्सिलेंस और इंस्टीट्यूट ऑफ हायर लर्निंग सेंटर शुरू करना चाहती है।