मोदी सरकार ने पांच साल के भीतर 312 भ्रष्ट और नकारा अधिकारियों को जबरन रिटायर किया है और ये मुहिम आगे भी जारी रहेगी। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को एक सवाल पर लोकसभा में लिखित जवाब में ये बात कही। मंत्री ने बताया कि जनहित में सर्विस रूल का इस्तेमाल कर इन अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक जुलाई 2014 से मई 2019 तक 36,756 ग्रुप-ए और 82,654 ग्रुप-बी अधिकारियों के सर्विस रिकॉर्ड की समीक्षा की गई। समीक्षा के दौरान 312 अधिकारी भ्रष्ट और नकारा पाए गए।
सिंह ने बताया मौजूदा लागू अनुशासनात्मक नियमों के अनुसार सरकार के पास उपलब्ध सबूतों के आधार पर भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है। इसके साथ ही सरकार के पास यह भी अधिकार है कि वह जनहित में किसी भी अधिकारी को जबरन रिटायर कर सकती है।
सरकार को ये सभी अधिकार सेंट्रल सिविल सर्विस पेंशन रूल्स, 1972 और एफआर (जे) (आई) और ऑल इंडिया सर्विस (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपादान) 158 के रूल 16(3) (संशोधित) से प्राप्त होते हैं। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने सरकारी नौकरियों को चार ग्रुप ए, बी, सी और डी में वर्गीकृत किया है। ग्रुप ए वे अधिकारी शामिल होते हैं जो मंत्रालयों और अलग-अलग विभागों के उच्च प्रशासनिक और वरिष्ठ प्रबंधन पदों में कार्यकर्त होते हैं।
बता दें कि हाल ही में प्रशिक्षण और कार्मिक विभाग (डीओपीटी) ने सरकार के सभी विभागों को एक आदेश जारी कर उन अधिकारियों की मासिक रिपोर्ट देने के लिए कहा है जिनकी सेवा समाप्त हो चुकी है और वे अधिकारी जिनके प्रदर्शन की समीक्षा की जा रही है। डीओपीटी ने एक जुलाई से इस आदेश का लागू कर हर महीने की 15 तारीख को इसकी रिपोर्ट जमा करने को कहा है। मोदी सरकार केंद्र सरकार के उन अधिकारियों की छुट्टी कर सकती है जो अपनी जिम्मेदारियों का सही से निर्वहन नहीं करते। सरकार ऐसे अधिकारियों का पता लगा रही है और उनके ट्रैक रिकॉर्ड की डिटेल्स मांग रही है।