पिछले हफ्ते भारतीय संसद में मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक 2017 पारित होने के बाद अब देश में सभी संगठित क्षेत्र (निजी और सरकारी) में काम करने वाली सभी कामगार महिलाओं को 26 हफ्ते का पूर्ण वैतनिक मातृत्व अवकाश (पेड लीव) मिल सकेगा। इस कानून से पहले भारत में महिलाएं 12 हफ्ते का वैतनिक मातृत्व अवकाश ले सकती थीं। यानी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने यह छुट्टी दोगुने से भी ज्यादा बढ़ा दी है। इस कानून के बाद भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के 186 सदस्य देशों के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जहां मातृत्व लाभ अवकाश सबसे बेहतर है।
नए कानून के अनुसार तीन महीने से कम उम्र का बच्चा गोद लेने वाली मां 12 हफ्ते का वैतनिक मातृत्व अवकाश ले सकती है। अगर बच्चा सरोगेसी (दूसरे की कोख से) से पैदा हुआ है तो सरोगेट मां को भी यह छुट्टी लेने का अधिकार होगा। नए कानून के तहत जिन संस्थानों में 50 या उससे ज्यादा कर्मचारी हैं उनके करीब क्रेच (नवजात के लिए देखभाल केंद्र) का होना जरूरी है। ऐसे संस्थानों को महिला कर्मचारियों को हर रोज चार बार क्रेच जाकर अपने बच्चे की देखभाल करने का अधिकार होगा। इस कानून के प्रगतिशील प्रावधानों के बाद भारत मातृत्व लाभ अवकाश के मामले में कनाडा और नार्वे के बाद तीसरे स्थान पर आ गया है। आइए देखें विश्व के विकसित देशों में क्या हैं मातृत्व लाभ अवकाश से जुड़े प्रावधान?
नार्वे में माताएं 35-46 हफ्ते का वैतनिक अवकाश या 80 प्रतिशत वेतन के साथ 45 हफ्ते का अवकाश ले सकती हैं। वहीं बच्चे के पिता माता की आय के अनुसार शून्य से अधिकतम 10 हफ्ते का वैतनिक अवकाश ले सकते हैं। माता-पिता दोनों मिलाकर 46 हफ्ते का वैतनिक अवकाश या 80 प्रतिशत वेतन के साथ हफ्ते का अवकाश ले सकते हैं।
हंगरी में माताओं को 24 हफ्ते का मातृत्व अवकाश मिलता है। इस दौरान उन्हें प्रतिमाह कुल वेतन का 70 प्रतिशत वेतन ही मिलता है। यह अवकाश बच्चे के संभावित जन्म तारीख से चार हफ्ते पहले से लिया जा सकता है। हंगरी में पिता को एक हफ्ते का वैतनिक अवकाश मिलता है। इन 24 हफ्तों के बाद माता-पिता दोनों मिलाकर कुल 156 हफ्ते का अवकाश ले सकते हैं। इस दौरान पहले 104 तक मासिक वेतन का 70 प्रतिशत प्रति माह मिलता है।
आयरलैंड में माताओं को 26 हफ्ते का मातृत्व अवकाश मिलता है। इस दौरान माताओं को मासिक सैलरी का 80 प्रतिशत वेतन मिलता है। चेक रिपब्लिक में 26 हफ्ते का मातृत्व अवकाश मिलता है। इस अवकाश के दौरान माता को मासिक वेतन का 60 प्रतिशत मिलता है। स्लोवाकिया में 28 हफ्ते का मातृत्व अवकाश मिलता है और माता को वेतन का 55 प्रतिशत प्राप्त होता है। मकदूनिया में माताओं को नौ महीने का मातृत्व अवकाश मिलता है।
फिनलैंड में अनुमानित प्रसव तारीख से सात हफ्ते पहले से माता छुट्टी ले सकती है। बच्चे के जन्म के बाद वो 16 हफ्ते की वैतनिक छुट्टी ले सकती है। माताओं के इस वैतनिक अवकाश की भरपाई सरकार करती है। वहीं फिनलैंड में बच्चे के पिता को आठ हफ्ते की वैतनिक छुट्टी मिल सकती है। बच्चे के तीन साल के हो जाने के बाद माता-पिता अल्पकालिक अवकाश भी ले सकते हैं जब तक कि बच्चा दूसरी कक्षा में न पढ़ने लगे।
पोलैंड में माताएं 20 हफ्ते का वैतनिक अवकाश ले सकती हैं। इस दौरान उन्हें पूरा वेतन मिलता है। इटली में माताओं को 5 महीने का मातृत्व अवकाश मिल सकता है। इस दौरान उन्हें मासिक वेतन का 80 प्रतिशत तनख्वाह के रूप में मिलता है। रूस में 140 दिन का मातृत्व अवकाश मिल सकता है जिसमें 100 दिन का अवकाश वैतनिक होता है। ब्रिटेन में 39 हफ्ते तक का वैतनिक मातृत्व अवकाश मिल सकता है। हालांकि इस दौरान मिलने वाला वेतन का अनुपात भिन्न-भिन्न होता है। मसलन, पहले छह हफ्ते में माता को वेतन का 90 प्रतिशत मिलता है।
कनाडा में 17 महीने का वैतनिक मातृत्व अवकाश मिलता है। ये अवकाश बच्चे के संभावित जन्म तारीख से आठ हपअते पहले से लिया जा सकता है। हालांकि कनाडा के अलग-अलग राज्यों में कुछ अलग प्रावधान भी हैं। अमेरिका में 12 हफ्ते का मातृत्व लाभ अवकाश मिलता है। वैतनिक अवकाश के बारे में कोई राष्ट्रीय प्रावधान नहीं है लेकिन कई राज्यों में नकद लाभ के प्रावधान हैं।
आईएलओ के अनुसार सुरीनाम और टोंगा को छोड़कर ज्यादातर देश मातृत्व अवकाश देते हैं। अमेरिका और पापुआ न्यू गिनी जैसे देशों में अवकाश तो मिलता है लेकिन वेतन नहीं मिलता। ज्यादातर विकसित देशों में वैतनिक मातृत्व अवकाश और अवैतनिक मातृत्व अवकाश मिलता है।
सरकार कर्मचारियों को 15 दिन का वैतनिक पितृत्व अवकाश मिलता है। प्राइवेट सेक्टर के लिए अभी ऐसा कोई कानून नहीं है। 2011-12 में संगठित क्षेत्र के कुल कामगारों में 22.5 प्रतिशत महिलाएं थीं। जबकि 2004-05 में यह संख्या करीब सात प्रतिशत ही थी। कुल कामगार महिलाओं का करीब 93 प्रतिशत संगठित क्षेत्र में काम करती हैं। यानी भारत के इस प्रगतिशील कानून से कामगार महिलाओं का एक बड़ा तबका लाभान्वित होगा।
