उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की आलोचना करने के लिए विश्व हिन्दू परिषद पर पलटवार करते हुए कुछ मुस्लिम संगठनों के नेताओं ने बुधवार को कहा कि इससे उनकी ‘‘सांप्रदायिक सोच’’ तथा भारतीय संविधान के प्रति सम्मान का अभाव परिलक्षित होता है।

इन नेताओं ने अंसारी की उन टिप्पणियों का बचाव किया जिसमें उन्होंने मुस्लिम समुदाय की मदद के लिए सकारात्मक कदम उठाये जाने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि अंसारी का बयान सरकार की नीतियों के दायरे में आता है।

जमाते इस्लामी हिन्द के महासचिव मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा, ‘‘वे किस तरह के लोग हैं..पूरा देश जानता है कि वे भारतीय संविधान का कितना सम्मान करते हैं और अल्पसंख्यकों के प्रति उनकी क्या भावनाएं हैं। विहिप की ओर से इस तरह की प्रतिक्रिया अप्रत्याशित नहीं है और इससे उनकी सांप्रदायिक सोच झलकती है।’’

इंजीनियर ने कहा, ‘‘उनका इतना बड़ा दिल नहीं है कि वे मुस्लिमों को समान नगारिक के रूप में स्वीकार करें। और इसी के साथ वे उप राष्ट्रपति के संवैधानिक पद का सम्मान नहीं कर रहे हैं।’’

वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एसक्यूआर इलियास ने विहिप की प्रतिक्रिया को अनावश्यक बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अंसारी का बयान संविधान और सरकार की नीतियों के तहत था।

उल्लेखनीय है कि विहिप ने अंसारी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उसे ‘‘सांप्रदायिक’’ बताया था और कहा था कि यह बयान उपराष्ट्रपति पद की गरिमा के अनुरूप नहीं है। उसने इस बात पर भी बल दिया था कि अंसारी को माफी मांगनी चाहिए या इस्तीफा दे देना चाहिए।

अंसारी ने 31 अगस्त को एक कार्यक्रम में कहा था कि भारतीय मुसलमानों के समक्ष पहचान एवं सुरक्षा, शिक्षा एवं अधिकारिता तथा निर्णय प्रक्रिया में समुचित हिस्सेदारी प्रमुख समस्याएं हैं। उन्होंने कहा कि अलग थलग करने और भेदभाव जैसी समस्याओं को सरकार को दुरुस्त करना चाहिए।