जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान मुरथल में यौन उत्पीड़न और सामूहिक बलात्कार प्रकरण की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय टीम ने शनिवार को घटनास्थल का दौरा किया। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हरियाणा के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। अब तक सरकार और पुलिस ऐसी किसी घटना के होने से बिल्कुल इनकार करते रही है।
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद मामले की सचाई जानने के लिए तीन महिला पुलिस अधिकारियों पर आधारित समिति को यह जिम्मेवारी सौंपी गई है। इनमें डीआइजी राजश्री सिंह, डीएसपी भारती डबास और सुरिंदर कौर हैं। आंदोलन के दौरान अंबाला-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर मुरथल के पास कथित तौर पर कुछ महिला यात्रियों से हुई बलात्कार की वारदात का पता लगाना सरकार और पुलिस के लिए चुनौती बन गया है। टीम सदस्यों ने अंबाला-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर ‘घटनास्थल’ के आसपास लोगों से बातचीत की।
राजश्री सिंह के मुताबिक, वहां से बरामद महिलाओं के कपड़े और अन्य सामान को फोरेंसिक जांच के लिए भिजवा दिया गया है। वहां की रिपोर्ट से बहुत कुछ स्पष्ट हो सकेगा। आगे की जांच में यह रिपोर्ट आधार रहेगी। उन्होंने बताया, घटना की सत्यता सामने आने के बाद आरोपियों तक पहुंचना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं होगा। उन्होंने कहा, टीम ने क्राइम ऑफ सीन से घटना के बारे में पता लगाने की भी कोशिश की है। घटना की सचाई सामने लाना चुनौती से कम नहीं है इसलिए लोगों से इस बाबत किसी भी तरह का सबूत लाने की अपील की गई है। घटना के चश्मदीद से लेकर, इस बाबत सुनने, जानने या वीडियो-ऑडियो क्लिप जैसा कोई भी सबूत बहुत अहम होगा।
राज्य सरकार और पुलिस ने छोटी मोटी पूछताछ के बाद ऐसी घटना से इनकार किया है। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद मामले की गंभीरता से छानबीन शुरू हो गई है। गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक की विस्तृत रिपोर्ट के बाद न्यायालय इस संदर्भ में अगला कदम उठाएगा।
