सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर पर उनका पासपोर्ट छिनने का खतरा मंडरा रहा है। मुंबई के क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी (आरपीओ) ने इस संबंध में मध्य के पुलिस महानिदेशक से नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ता के खिलाफ दर्ज मामलों की जानकारी मांगी है।
पासपोर्ट कार्यालय मेधा पर दर्ज मामलों को लेकर उनका पासपोर्ट जब्त करने पर विचार कर रहा है। इस संबंध में पासपोर्ट कार्यालय की तरफ से मेधा पाटकर को एक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था। 18 अक्टूबर को जारी इस नोटिस में मेधा से पूछा गया था कि अपने खिलाफ दर्ज मामलों के बारे में जानकारी नहीं देने के लिए क्यों ना उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया जाए।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार पासपोर्ट कार्यालय की तरफ से भेजे गए नोटिस में उनके खिलाफ दर्ज 9 आपराधिक मामलों का हवाला दिया गया है। इनमें से तीन बरवानी, एक अलीराजपुर और पांच खांडवा, मध्यप्रदेश में दर्ज हैं। मेधा के खिलाफ दर्ज अधिकतर मामले हंगामा करने और सरकारी अधिकारी के कामकाज में बाधा पहुंचाने से संबंधित हैं।
नोटिस को लेकर मेधा पाटकर से 10 दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया था। पासपोर्ट कार्यालय की तरफ से यह नोटिस एक पत्रकार की शिकायत के बाद जारी किया गया था। शिकायत में कहा गया था कि पाटकर ने अपना पासपोर्ट हासिल करने के लिए क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी से कई ठोस जानकारियां छुपाईं।
खबर के अनुसार मेधा पाटकर ने मार्च 2017 में अपना पासपोर्ट फिर से जारी करवाया था। इसकी वैधता 29 मार्च 2027 तक है। खबर में मेधा पाटकर से बातचीत का हवाला देते हुए कहा गया है कि मेधा पाटेकर ने अपना जवाब आरपीओ को भेज दिया था। उन्होंने अपने जवाब में कहा था कि उनके खिलाफ कोई भी मामला लंबित नहीं है। इस जवाब के बाद आरपीओ की तरफ से दूसरा नोटिस भेजा गया। इस नोटिस में 15 दिन का समय देते हुए केसों के संबंध में दस्तावेज संबंधी सबूत पेश करने को कहा गया था।
पाटकर ने कहा कि ये मामले 1985 में नर्मदा बचाओ आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए थे। ये मामले सिर्फ मेरे खिलाफ नहीं बल्कि लोगों के समूह के खिलाफ दर्ज किए गए थे। पाटकर ने कहा कि उन्हें नहीं याद कि वह कभी खंडवा में कभी किसी केस के सिलसिले में पेश हुई हों।