सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास कोष (MPLAD) योजना के तहत पूर्व सांसदों के 1723 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए जा सके हैं। केंद्र सरकार ने संसदीय समिति को ये जानकारी दी है। इन फंडों के जरिए सांसद अपने इलाके के विकास कार्यों पर हर साल पांच करोड़ तक खर्च कर सकते हैं।
सरकार ने यह भी बताया कि बचे हुए पैसे का उपयोग पूर्व सांसदों के सभी स्वीकृत कार्य पूर्ण होने और उसके बाद उनका बैंक खाता बंद करने के बाद ही किया जा सकता है। सरकार की ओर से कहा गया है कि पूर्व सांसदों के इन पैसों को सीधे बाद के सांसद तुरंत उपयोग नहीं कर सकते हैं। अकाउंट बंद होने के बाद ये पैसा वर्तमान सांसद के खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी, जिससे बाकी बचे हुए पैसों का उपयोग विकास कार्यों के लिए किया जा सकेगा।
वहीं इन बचे हुए पैसों को लेकर समिति ने सरकार से कहा कि उम्मीद है कि मंत्रालय बेकार पड़ी इतनी बड़ी राशि से संबंधित समस्याओं को पता लगाएगा और इस संबंध में हुई प्रगति से समिति को अवगत कराया जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक 16वीं लोकसभा में सांसदों की 470 किश्तों के तहत एमपीलैड योजना के अंतर्गत 1,175 करोड़ रुपये की राशि बची हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2015-16 में दो किस्तों में 5 करोड़ रुपये, 2016-17 में 22 किस्तों में 55 करोड़ रुपये, 2017-18 में 91 किस्तों में 227 करोड़ रुपये और 2018-19 में 355 रुपये की राशि दी गई है।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि 17वीं लोकसभा के संबंध में इस योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2019-20 में 102 किश्तें लंबित हैं। बता दें कि कोरोना के दौर में दो साल के लिए इस फंड को निलंबित कर दिया गया था। जिसके कारण विकास कार्य प्रभावित हुए थे। हालांकि कोरोना के मामले कम होने के बाद इसे फिर से बहाल कर दिया गया था। जिसके बाद सांसदों के जरिए विकास कार्य फिर से शुरू हो पाया था।