राज्यसभा में गुरुवार को विपक्ष ने भारत रत्न से सम्मानित मदर टेरेसा के संबंध में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के विवादास्पद बयान को लेकर सरकार को घेरते हुए भारी हंगामा किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले की निंदा करने तथा सदन में एक प्रस्ताव पारित कर इसकी भर्त्सना करने की मांग की। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण सदन की बैठक 15 मिनट के लिए स्थगित भी हुई।

हालांकि सरकार ने कहा कि मदर टेरेसा के सेवाभाव से किए गए योगदान को सिर्फ सरकार ही नहीं पूरा देश सम्मान करता है। इसे लेकर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता। शून्यकाल में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि आजादी के बाद से अब तक 43 लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। उनमें से एक मदर टेरेसा के बारे में हाल ही में एक अपमानजनक टिप्पणी की गई है।

उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा एक ईसाई नन से बहुत उपर की सोच वाली हस्ती थीं। मदर टेरेसा ने एक बार स्वयं कहा था कि हां, वह धर्मातरण कराती हैं। उन्होंने कहा था कि मैं हिन्दुओं को और अच्छे हिन्दू में परिवर्तित करती हूं। मुस्लिमों को और अच्छे मुस्लिमों में परिवर्तित करती हूं।

यह भी पढ़ें: मदर टेरेसा विवाद: दिया मिर्जा-मीनाक्षी लेखी के बीच ‘TWITTER WAR’ 

 

ब्रायन ने कहा कि भगवदगीता और भागवत जैसे विभिन्न धर्मग्रंथ जिस सेवा की बात करते हैं, वह मदर टेरेसा ने करके दिखाया था। उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की ओर परोक्ष संकेत करते हुए कहा कि बयान देने वालों को मदर टेरेसा द्वारा शुरू किए गए निर्मल rदय जैसे संस्थान देखने चाहिए जिनमें रोगियों, पीड़ितों एवं दुखी लोगों की सेवा सेवा की जाती है।

उन्होंने कहा कि इस बयान के जरिए मदर टेरेसा का अपमान किया गया है और इस मामले में भाजपा का कोई प्रवक्ता किसी टीवी चैनल पर नहीं दिखा। उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री ने भी कोई टिप्पणी नहीं की है।