केंद्र सरकार हिंदुओं की सबसे पवित्र गंगा नदी को साफ और प्रदूषण मुक्त रखने के लिए नया कानून बनाने जा रही है। जानकारी के मुताबिक, इस कानून के ड्राफ्ट प्रस्ताव पर काम जारी है। अलग-अलग प्राधिकरणों से सलाह-मशविरे के बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया जाएगा। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले ही राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन भी किया था।

बता दें कि मोदी सरकार ने 2014 में सरकार बनने के साथ ही गंगा की सफाई के मकसद से नमामि गंगे प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। इसके तहत सरकार ने गंगा नदी में गिरने वाले औद्योगिक कचरे और नालों को बंद करने का कार्यक्रम शुरू किया था। नमामि गंगे के लिए सरकार ने पांच साल की अवधि में 20 हजार करोड़ रुपए का बजट भी निश्चित किया था। हालांकि, सरकार का यह प्रोजेक्ट अब तक पूरा नहीं हुआ है।

देशभर में करोड़ों की संख्या में देशवासी गंगा नदी की पूजा करते हैं। 2510 किलोमीटर लंबी इस नदी से 40 करोड़ लोगों का जनजीवन चलता है। नए प्रस्तावित कानून के तहत अब गंगा में प्रदूषण बढ़ने से रोकने के लिए कानूनी प्रावधान किए जाएंगे। इसके साथ ही पानी में अलग-अलग कणों के मानक भी तय होंगे, ताकि विभिन्न शहरों के पास नदी के पानी की गुणवत्ता समान रहे।

प्रस्तावित कानून जिन आठ राज्यों में लागू होगा उनमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं। बताया गया है कि आईआईटी और जर्मनी, इजराइल, यूरोपियन यूनियन और जापान समेत कुछ अन्य सहयोगी देशों ने गंगा की सफाई के लिए मुख्य टेक्निकल प्लान तैयार किया है। इसमें गंगा में प्रदूषण फैलाने वाली अवैध फैक्ट्रियों को बंद करने के साथ वैध फैक्ट्रियों को सीवेज के लिए अलग व्यवस्था करने का प्रावधान रखा गया है।