केन्द्र की मोदी सरकार सरकारी विमानन कंपनी Air India को बेचने पर विचार कर रही है और ऐसी खबरें हैं कि सरकार ने इसके लिए अक्टूबर तक की डेडलाइन तय की है। बता दें कि संकट के दौर से गुजर रही एयर इंडिया को उबारने के लिए केन्द्र सरकार बीते पांच सालों के दौरान 24,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश कर चुकी है। बजट दस्तावेजों के अनुसार, सरकार ने वित्तीय वर्ष 2014-15 से लेकर 2018-19 तक एयर इंडिया में 24,306 करोड़ रुपए का निवेश किया है। इसमें बजट प्रावधान भी शामिल है।
एयर इंडिया में सरकार ने साल 2017-18 में सबसे ज्यादा 6,427 करोड़ रुपए का निवेश किया था। 2019-20 के बजट में सरकार ने एयर इंडिया को 7000 करोड़ रुपए की रकम वितरित की है। इस बजट में सरकार ने बजट के अतिरिक्त एयर इंडिया को दी जाने वाली मदद को घटाकर 434 करोड़ रुपए कर दिया है। जिससे लगता है कि सरकार एयर इंडिया को निजी हाथों में सौंपने का मन बना चुकी है।
उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा इतनी बड़ी मात्रा में निवेश किए जाने के बावजूद एयर इंडिया ने फाइनेंशियल स्तर पर बेहतरी के संकेत नहीं दिए हैं। हालांकि ऑपरेशनल स्तर पर जरुर एयर इंडिया का प्रदर्शन पहले के मुकाबले सुधरा है। ऐसे में यदि सरकार एयर इंडिया को बेचने का फैसला करती है तो निवेशक एयर इंडिया में किन्हीं कारणों से दिलचस्पी दिखा सकते हैं।
निवेशकों के एयर इंडिया में दिलचस्पी दिखाने के पीछे जो सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है, वो है जेट एयरवेज का भारतीय विमानन परिदृश्य से गायब हो जाना। दरअसल जेट एयरवेज की उड़ानें बंद होने के बाद इसका फायदा एयर इंडिया को मिलता दिखाई दे रहा है।
जेट एयरवेज ने मई, 2019 के बाद से किसी भी फ्लाइट का संचालन नहीं किया है। इसके बाद से ही एयर इंडिया के ऑपरेशन में बेहतरी आयी है। जेट एयरवेज के बंद होने के बाद अभी तक जिस फ्लाइट ने सबसे ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है, वह एयर इंडिया ही है। एयर इंडिया ने इस दौरान इंडिगो, स्पाइसजेट और विस्तारा एयरलाइंस जैसी प्रीमियम एयरलाइंस को पछाड़कर बेहतर प्रदर्शन किया है। सिविल एविएशन मिनिस्टर हरदीप पुरी ने राज्यसभा में बताया कि जेट एयरवेज के अन्तरराष्ट्रीय अधिकार एयर इंडिया को आवंटित कर दिए गए हैं।
इसके तहत हर हफ्ते करीब 11,000 लोग भारत से दुबई और कतर के बीच सफर करते हैं। जिनका फायदा एयर इंडिया को मिलेगा। इसके अलावा हांग-कांग और सिंगापुर के रुट पर जेट एयरवेज की 3000 सीटें भी एयर इंडिया को ही आवंटित की गई हैं। भारत-ब्रिटेन रुट की 4700 सीटें भी एयर इंडिया को ही मिली हैं। इसका असर एयर इंडिया के ऑपरेशंस विभाग में दिखा और विमानन कंपनी ने इस विभाग में बेहतर प्रदर्शन किया है। अन्तरराष्ट्रीय उड़ानों के साथ ही डोमेस्टिक का फायदा भी एयर इंडिया को मिलेगा। डोमेस्टिक के 22 रुट एयर इंडिया को मिले हैं। ऐसे में उम्मीद है कि भविष्य में एयर इंडिया ऑपरेशंस के साथ ही फाइनेंशियल विभाग में भी बेहतर कर सकती है। ऐसे में एयर इंडिया को लेकर सरकार के अगले कदम पर लोगों की निगाहें टिकी हैं।