अधिकारियों ने हुर्रियत कांफ्रेंस के उदारपंथी धड़े के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारुक को बुधवार को नजरबंद कर दिया ताकि वह अपने पिता की बरसी के अवसर पर आज प्रस्तावित रैली में हिस्सा न ले सकें। उनके पिता की 1990 में हत्या कर दी गयी थी।

बहरहाल, नजरबंदी के बावजूद हुर्रियत के कार्यकर्ताओं ने श्रीनगर के व्यस्त इलाके में एक रैली आयोजित की जिसे फारुक ने फोन के जरिये संबोधित किया। प्रदर्शन के दौरान कुछ जगहों पर पाकिस्तानी झंडे भी लहराये गये।

हुर्रियत के एक प्रवक्ता ने यहां कहा, ‘‘मीरवाइज को बुधवार सुबह नजरबंद कर दिया गया और इस तरह उन्हें हफ्ता शहादत कार्यक्रम में भाग लेने से रोक दिया गया।’’

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘यह राज्य प्रायोजित आतंकवाद है तथा आक्रामक राजनीति की मिसाल है। जब कश्मीरी शहीदों को याद करने के लिए हफ्ता शहादत का शांतिपूर्ण ढंग से आयोजन कर रहे हो तो मीरवाइज को नजरबंद करना कश्मीरियों के घाव पर नमक छिडकने और उनकी भावनाओं से खेलने के समान है।’’

उदारपंथी हुर्रियत कांफ्रेंस ने मीरवाइज के पिता मौलवी मोहम्मद फारुक एवं हुर्रियत नेता अब्दुल गनी लोन की बरसी के अवसर ईदगाह में एक रैली की योजना बनायी थी।

मीरवाइज फारुक की आतंकवादियों ने 21 मई 1990 को गोली मारकर हत्या कर दी थी जबकि उनकी बरसी के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए 2002 में उसी दिन आयोजित एक रैली में चरमपंथियों ने लोन की जान ले ली थी।

हुर्रियत के कार्यकर्ताओं ने शहर के व्यस्त क्षेत्र राजौरी कदल में एक रैली आयोजित की। रैली को टेलीफोन के जरिये संबोधित करते हुए फारुक ने कहा कि नजरबंदी तनाशाही का सबसे खराब स्वरूप है।

उन्होंने कहा कि एक बार फिर तथाकथित सरकार ने बुनियादी मानवीय एवं लोकतांत्रिक संहिताओं का उल्लंघन किया है। उन्होंने लोगों से आज पूरी तरह हड़ताल रखने और ईदगाह की ओर मार्च करने की अपील की। इसी बीच, रैली के दौरान कुछ जगहों पर पाकिस्तानी झंडे भी लहराये गये।