पश्चिम बंगाल की रहने वाली एक आदिवासी महिला ने मदर टेरेसा के चमत्कार को लेकर दावा किया। मोनिका बिसरा नाम की इस महिला का दावा है कि उसके पेट में एक बड़ा ट्यूमर था 1998 में मदर टेरेसा की तस्वीर से निकली किरण के छूते ही उसका ट्यूमर ठीक हो गया। बता दें कि मदर टेरेसा को रविवार को वेटिकन सिटी में हजारों लोगों की उपस्थिति में संत की उपाधि दी जाएगी।

पश्चिम बंगाल के साउथ दिंजपुर की रहने वाली महिला ने एनडीटीवी को बताया कि जब मैं चर्च में घुसी तो फोटो से निकली प्रकाश की एक किरण (रे ऑफ लाइट) मुझे लगी। मैं चौंक गई। मैं कांपनी लगी और आंखें बंद कर ली। मोनिका पहले भी कई बार यह कहानी बता चुकी है। 2003 में वो पोप जॉन पॉल से रोम मिली। वेटिकन ने उनके दावे की पुष्टि की और मदर टेरेसा को धन्य (beatification) घोषित किया गया। मोनिका का कहना है कि मदर टेरेसा मेरे लिए भगवान की तरह हैं। उन्होंने ठीक होने में मेरी मदद की। मैं उन्हें हमेशा याद रखूंगी। 50 साल की मोनिका का कहना है कि उन्होंने 18 साल तक इस दर्द को झेला है। ट्यूमर के कारण वह न तो खाना खा पाती थीं और न ही सो पाती थीं।

उन्होंने बताया कि कई डॉक्टर्स और अस्पताल के चक्कर लगाए। उसके बाद मुझे सिलीगुड़ी ले जाया गया। ब्लड टेस्ट के बाद पता चला कि मेरी हालत गंभीर थी। मुझे खून की जरुरत थी। डॉक्टरों ने कहा कि अगर मुझे एनेस्थीसिया (बेहोश) दिया गया तो मैं उठ नहीं पाउंगी। उन्होंने मुझे सलाह दी कि मुझे घर जाना चाहिए और हेल्थी होकर सर्जरी के लिए वापस आना चाहिए।

मोनिका ने बताया कि एक दिन मदर टेरेसा की मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की एक शाखा में उनका इलाज संभव हो सका। कुछ ननों ने मेरी कमर पर एक काला धागा बांधा। कुछ घंटों के बाद मेरा दर्द खत्म हो गया। उन्होंने बताया, ‘मैं कई दिनों तक सो नहीं पाती थी लेकिन धागा बंधने के बाद कब मुझे नींद आ गई मुझे पता ही नहीं चला। जब मैं उठी तो ट्यूमर गायब था।’ मैंने लड़कियों को उठाया और उसने देखने का कहा तो उन्होंने बताया कि सूजन जा चुकी है। हालांकि उनके चमत्कार की बात को डॉक्टर्स चुनौती देते हैं। उनका मानना है कि यह कोई चमत्कार नहीं है बल्कि मेडिकल साइंस की वजह से उनका ट्यूमर ठीक हुआ था।