केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) की आंतरिक लेखा परीक्षा शाखा (IAW) की हालिया रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MG-NREGS) में करोड़ों रुपए के नुकसान की बात सामने आई है। इसमें तमिलनाडु, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई जिलों में कुल 35.37 करोड़ रुपए के वित्तीय हानि का खुलासा किया गया है। अकेले तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में 34.02 करोड़ रुपए, राजस्थान के नागौर में 1.09 करोड़ रुपए, और मध्य प्रदेश के मुरैना में 26 लाख रुपए का नुकसान बताया गया है।
आईएडब्ल्यू ने पूरे देश में 92 ग्रामीण विकास कार्यों का ऑडिट किया
रिपोर्ट के मुताबिक, यह निष्कर्ष 2023-24 की वार्षिक प्रदर्शन लेखा समीक्षा का हिस्सा है, जो ग्रामीण विकास मंत्रालय के मुख्य लेखा नियंत्रक कार्यालय द्वारा साझा की गई है। इस अवधि में आईएडब्ल्यू ने पूरे देश में 92 ग्रामीण विकास कार्यों का ऑडिट किया। इन कार्यों में एमजी-एनआरईजीएस, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (PMAY-G) और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) शामिल हैं। मणिपुर के फेरजावल जिले में पीएमएवाई-जी के तहत 5.20 लाख रुपए की वित्तीय हानि पाई गई।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि आईएडब्ल्यू ने गुजरात, सिक्किम, मणिपुर, ओडिशा, केरल, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, आंध्र प्रदेश, असम, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार में कई कार्यों में अनधिकृत और गैरजरूरी खर्चों के केस दर्ज किए हैं। इन राज्यों में ऐसे बेकार खर्च का कुल मूल्य 15.20 करोड़ रुपए बताया गया है। इस प्रकार के व्यय को योजनाओं के उद्देश्यों के विरुद्ध माना गया है।
आईएडब्ल्यू की रिपोर्ट के अनुसार 2023-24 में किए गए 92 जोखिम-आधारित आंतरिक ऑडिट मंत्रालय के इतिहास में अब तक की सबसे अधिक संख्या है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय की योजनाएं सामाजिक कल्याण से संबंधित हैं, इसलिए आवश्यक है कि इन योजनाओं का बजट पारदर्शिता के साथ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचे। आईएडब्ल्यू का उद्देश्य है कि यह सुनिश्चित करना कि सरकारी खर्च विवेकपूर्ण और लाभकारी हो।
पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 में भी आईएडब्ल्यू ने MG-NREGS, PMGSY और राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) में 23.17 करोड़ रुपये का घाटा पाया था। MG-NREGS में सबसे ज्यादा घाटा दर्ज हुआ, जिसमें आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम और पश्चिम बंगाल के नादिया जिले से वित्तीय हानियों की रिपोर्ट प्राप्त हुई थी। इस बारे में ग्रामीण विकास मंत्रालय को भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं मिला।