जयपुर में दो महिलाओं को काजी नियुक्त किए जाने बाद अब उत्तरप्रदेश के कानपुर में दो महिलाओं को काजी बनाए जाने की खबर आई है। 51 वर्षीय प्रोफेसर हीना जहीर और 25 वर्षीय मारिया फजल को 24 फरवरी को महिलाओं के एक समूह ने दोनों को काजी नियुक्त कर दिया। ये उत्तरप्रदेश की पहली और भारत की दूसरी महिला काजी हैं। जहीर लखनऊ में कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट स्ट्डीज में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं, जबकि फजल साइंस ग्रेजुएट हैं और अपना कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर चलाती हैं।

जहीर का कहना है कि हम हम महिलाओं के लिए काम कर रहे हैं। पिछले दो सप्ताह में हमारे पास दर्जनों महिलाएं मदद के लिए पहुंची हैं। उनमें से ज्यादात्तर वे महिलाएं थी, जिनके साथ उनके पति और ससुरात वाले गंदा व्यवहार करते हैं। हम उन्हें कोर्ट जाने की सलाह नहीं देते, बल्कि कहते हैं कि कोशिश करो कि अपने स्तर पर ही मामला सुलझ जाए। हम महिलाओं को कामकाजी बनने के लिए समझाते हैं, ताकि वे दूसरों पर निर्भर न रहें। साथ ही उन्होंने बताया कि उनके पास दो हिंदू महिलाएं भी मदद के लिए आई थीं। साथ ही जहीर कहती हैं कि कुरान में महिलाओं पर अपना राज चलाने की इजाजत नहीं दी गई है। कुरान में कहा गया है कि अगर कोई अच्छा काम करता है तो अल्लाह उसे यहां और यहां के बाद इनाम देगा। इसमें लिंग मायने नहीं रखता।

जहीर और फजल अन्य महिलाओं के साथ मिलकर महिलाओं के जुड़े कई मुद्दों पर आवाज उठा रही हैं। वे तीन तलाक, पैतृक संपत्ति में महिलाओं का हक जैसे कई मुद्दों पर काम कर रही हैं। कानपुर सिटी के चमनगंज इलाके में एक कमरे के ऑफिस से अपना काम कर रही दोनों महिलओं को इस दौरान पुरुष काजियों की आलोचनाएं भी झेलनी भी पड़ रही है.।
काजी इनामुल्ला ने इनकी नियुक्ति को ड्रामा करार देते हुए कहा कि महिलाएं लिखित में अपने विचार पुरुष काजी को दे सकती हैं। काजी का काम पुरुषों के लिए छोड़ देना चाहिए।

गौरतलब है कि मुस्लिमों के मसलों को कोर्ट मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत हल करती है, लेकिन काजी भी समाज का एक हिस्सा होने के नाते सलाहकार की भूमिका निभाते हैं। निकाह, तलाक और उत्तराधिकार के मामलों में ये अहम भूमिका निभाते हैं।