Max Born Birthday: क्वांटम मैकेनिक्स में कई महत्वपूर्ण खोजें करने वाले जर्मन वैज्ञानिक मैक्स बॉर्न को गूगल ने डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी है। मैक्स को ठोस-अवस्था भौतिकी और प्रकाशिकी में थियोरेटिकल रिसर्च के लिए जाना जाता है। उनका जन्म 11 दिसंबर, 1882 को पोलैंड के व्रोकलॉ में हुआ था, जिसे उस समय ब्रेस्लॉ के नाम से जाना जाता था। उस समय यह स्थान जर्मनी का हिस्सा था। बॉर्न ने गोटिंगन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और उसके बाद वह वहीं सैद्धांतिक भौतिकी के प्रोफेसर बन गए। वह उस समय के कुछ प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के साथ काम करते थे और उन्हें सलाह भी देते थे। मैक्स बॉर्न ने दिग्गज वैज्ञानिक वर्नर हाइजनबर्ग के साथ भी काम किया। जब 1932 में हाइजनबर्ग को फिजिक्स के लिए नोबेल मिला तो मैक्स निराश हुए। एडॉल्फ हिटलर के शीर्ष पर पहुंचते ही नाजी पार्टी द्वारा लागू किए गए कानूनों के परिणामस्वरूप उन्हें जर्मनी से इंग्लैंड भागना पड़ा, जहां वह लगभग दो दशक तक एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में प्राकृतिक दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में सेवारत रहे। 1954 में सेवानिवृत्त होने के बाद वह गोटिंगन लौट आए।
बॉर्न को क्वांटम मैकानिक्स में अपने योगदान और मौलिक अनुसंधान खासकर तरंग कणों के सांख्यिकीय विश्लेषण के लिए 1954 में नोबल से सम्मानित किया गया। उन्हें अपने सिद्धांत ‘बॉर्न रूल’ के लिए खासतौर पर प्रसिद्धि मिली। बॉर्न रूल एक क्वांटम थ्योरी है जिसमें मैथेमेटिकल प्रॉबेबिलिटी के माध्यम से तरंग कणों के स्थान का पता लगाया जाता है।मैक्स बॉर्न एक समय में भौतिकी के सिद्धातों के विश्लेष्ण में इस कदर रम गये थे कि उन्होंने सैद्धांतिक भौतिकी को दर्शनशास्त्र कहना शुरू कर दिया था। मैक्स का 5 जनवरी, 1970 को गोट्टिंगेन में निधन हो गया था।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान बॉर्न का ट्रांसफर साउंड रेंजिंग रिसर्च विंग में कर दिया गया था। ऐसा रेडियो पर उनकी विशेषज्ञता के कारण किया गया था। साल 1933 में जब जर्मनी में नाजियों की सरकार बनी थी तब बॉर्न को सस्पेंड कर दिया गया था। बता दें कि मैक्स बॉर्न ने तरंगों के कणों पर जो खोज की, उसी की बदौलत मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई), लेजर जैसी तकनीक विकसित हो सकी। सूक्ष्म स्तर पर तरंगों के जरिए बीमारियों का पता लगाने में चिकित्सकों को आसानी होनी लगी। आपको बता दें कि क्वांटम मैकेनिक्स के तहत भौतिकी में सूक्ष्मतम कणों (इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन इत्यादि) का अध्ययन किया जाता है।