गुजरात में पैगंबर मुहम्‍मद को मनुष्‍यों के समान बताना और उन्‍हें भाई कहना तबलीग जमात के एक मौलवी को भारी पड़ गया। गुजरात हाईकोर्ट ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोपों को बनाए रखा है। साथ ही कहा कि मौलवी को ट्रायल का सामना करना होगा। मामला सात साल पुराना है। 2009 में कारी अहमदाली हुसैनली बाटीवाला ने जुहापुरा के पास सभाओं को संबोधित किया था। उनके भाषण अन्‍य संप्रदायों के लोगों को रास नहीं आए। सुन्‍नी अवामी फोरम के सचिव उस्‍मान कुरैशी ने मार्च 2010 में उनके खिलाफ धर्म के आधार पर अपमानजनक टिप्‍पणी करने और पैगंबर के खिलाफ ईशनिंदा वाले बयान देने का मामला दर्ज कराया। बाटीवाला पर आरोप है कि सूफी संतों के खिलाफ अपने बयानों से उन्‍होंने लोगों को भड़काया। उन्‍होंने लोगों से सूफी संतों की मजारों को तोड़ने को भी कहा।

उन पर सबसे बड़ा आरोप है कि वे पैगंबर को भाई के रूप में संबोधित करते हैं और दूसरों को भी ऐसा ही कहने का जोर डालते हैं। कुरैशी ने बाटीवाला के भाषणों की ऑडियो क्लिप भी सबूत के रूप में पेश की। बाद में बाटीवाला को गिरफ्तार किया लेकिन फिर जमानत दे दी गई। उनके खिलाफ चार्जशीट भी दायर की जा चुकी है। इसके बाद बाटीवाला ने हाईकोर्ट में याचिका दी और आरोपों को हटाने की अपील की। अपील में उन्‍होंने कहा कि जो शब्‍द बोले गए वे हदीस के संदर्भ में थे। हदीस में कहा गया है कि पैगंबर अपने अनुयायियों को भाई बताते हैं।

बाटीवाला की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि सभा में जब उन्‍होंने यह बयान दिया तो किसी ने आपत्ति नहीं की। सालभर बाद शिकायत दर्ज कराई गई और जो लोग सभा में मौजूद नहीं थे वे भावनाओं के आहत होने का दावा नहीं कर सकते। इस पर शिकायतकर्ता की ओर से एडवोकेट रफीक लोखंडवाला ने कहा कि पैगंबर खुद को दूसरो के समान बता सकते हैं लेकिन किसी व्‍यक्ति को यह तुलना करना अनुचित है। सुनवाई के बाद जस्टिस बीएन कारिया ने मामले में दखल देने से इनकार कर दिया। उन्‍होंने कहा कि चार्जशीट दाखिल हो चुकी है इसलिए आरोपी को ट्रायल का सामना करना होगा।