जेल से रिहा किए गए कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मशरत आलम ने रविवार को कहा कि सरकार बदलने का यह मतलब नहीं है कि जमीनी स्तर पर हकीकत बदल जाएगी। मुसलिम लीग पार्टी के नेता आलम ने उन सुझावों को खारिज कर दिया कि उनकी रिहाई को लेकर उनके और राज्य सरकार के बीच कोई समझौता हुआ है और इससे केंद्र व अलगाववादियों के बीच बातचीत हो सकती है।
रिहाई को लेकर खड़े हुए विवाद के बीच उन्होंने कहा, ‘मेरी रिहाई में क्या बड़ी बात है? मैं पिछले 20 वर्षों से जेल में जाता और बाहर आता रहा हूं। मेरी रिहाई में क्या नया है?’
आलम ने कहा कि पीडीपी-भाजपा की सरकार ने उन पर कोई एहसान नहीं किया क्योंकि सामान्य न्यायिक प्रक्रिया के तहत उनकी रिहाई हुई है। उन्होंने कहा कि ‘संबंधित अदालतों से जमानत दे दिए जाने के बाद भी’ उन्हें बार-बार जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में रखा गया।
अपनी रिहाई से जुड़े विवाद पर मुसलिम लीग के नेता ने कहा, ‘यदि मेरी रिहाई पर कोई हो-हल्ला मचा रहा है तो यह उसका सिर दर्द है।’
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी रिहाई अलगाववादियों और सरकार के बीच वार्ता की बहाली का संकेत है, इस पर आलम ने कहा कि हुर्रियत कांफ्रेंस इस पर कोई फैसला करेगी।
उन्होंने कहा, ‘हम (मुसलिम लीग) फोरम (हुर्रियत कांफ्रेंस) का हिस्सा हैं। वार्ता पर फोरम जो भी फैसला करेगा, मैं उसे मानूंगा।’ अलगाववादी नेता को अक्तूबर 2010 में गिरफ्तार किया गया था।