सरकार को इस साल अनाज के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद थी। सरकार इस साल 96.64 मिलियन टन अनाज उत्पादन की उम्मीद लगाकर बैठी है। मार्च के आखिर में एकसाथ बढ़े तापमान के कारण सरकार की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। हरियाणा के पानीपत के एक किसान ने बताया कि 20 मार्च तक सब ठीक था। 25 मार्च को जब तापमान 36 डिग्री पहुंचा तब भी सब लगभग ठीक ही था। मुझे उम्मीद थी कि मेरी फसल अच्छी होगी। पिछली बार 2013 में अच्छी पैदावार हुई थी। मुझे उम्मीद थी कि अगर मेरी फसल 2013 से अच्छी नहीं होगी तो खराब भी नहीं होगी। गेहूं की बाल अच्छी आई हुई थी और उसमें दाने भी अच्छे थे। किसान ने बताया कि पिछले सप्ताह सब कुछ बदल गया जब तापमान मार्च में ही और ऊपर चढ़ा गया।

28 मार्च को ही यहां का तापमान 38 डिग्री तक पहुंच गया और महीने के आखिर तक 40 डिग्री को भी पार कर गया। यह तापमान सामान्य से 6 डिग्री ज्यादा है। किसान ने बताया कि इस तापमान से गेहूं के दाने पर बुरा असल पड़ेगा। दाने के साइज के साथ-साथ इसका वजन भी कम हो जाएगा। गेहूं की फसल 140 से 150 दिन की होती है। 20 नंवबर तक बोई जाने वाली फसल 15 अप्रैल तक कटने के लिए तैयार हो जाती है।

इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट नई दिल्ली के प्रमुख वैज्ञानिक और गेहूं ब्रीडर राजबीर यादव ने बताया कि समय पर बोई गई फसल को गर्मी से ज्यादा नुकसान नहीं होता। देर से बोई गई फसल पर इसका ज्यादा असर पड़ता है। गेहूं बोने का सही समय 20 नवंबर तक है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में सभी जगह गेहूं की बुआई टाइम पर हुई है। इसके अलावा पंजाब और हरियाणा में भी गेहूं की बुआई 20 नंवबर से पहले हो चुकी थी। मार्च के आखिर तक गेहूं लगभग तैयार हो जाता है। 15 फरवरी को कृषि मंत्रालय ने भारत में 2016-17 में 96.64 मिलियन टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान लगाया था। यह अनुमान अभी तक के उत्पादन में सबसे ज्यादा था। भारत में साल 2013-14 में सबसे ज्यादा गेहूं का उत्पादन 95.85 मिलियन टन हुआ था। गेंहूं की इसी बंपर पैदावार के अनुमान के बाद सरकार ने 28 मार्च को इंपोर्ट ड्यूटी को 0% से बढ़ाकर 10% कर दिया था।