सौमिया अशोक
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) से कहा है कि उन्हें एेसे पुरुषों की शिकायतें ज्यादा मिल रही हैं, जिनका कहना है कि उनके खिलाफ गलत मामले दर्ज हैं। उन्होंने आयोग से एेसे पुरुषों के लिए मदद मुहैया कराने को कहा है। एनसीडब्ल्यू की चेयरपर्सन ललिता कुमार मंगलम को गुरुवार को भेजे खत में मेनका ने कहा कि आयोग के अॉनलाइन कंप्लेंट सिस्टम में एक विंडो इस चीज की भी होनी चाहिए और यह एक पखवाड़े के भीतर चालू हो जानी चाहिए। खत में मेनका ने लिखा, मुझे पुरुषों से काफी तादाद में शिकायतें मिल रही हैं, जिनका दावा है कि उन पर घरेलू हिंसा, दहेज और बलात्कार के झूठे आरोप लगे हैं। उन्होंने लिखा, मुझे चिंता इसलिए है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में इसमें और बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने एनसीडब्ल्यू से एेसे पुरुषों को एक खिड़की मुहैया कराने को कहा है, जहां वह झूठी शिकायतों के मामले लेकर आ सकें। उन्होंने कहा, वह इस तथ्य से भी जागरुक हैं कि पुरुष यह कदम महिलाओं के आरोपों की प्रतिक्रिया में उठा सकते हैं। साथ ही इससे पुरुष हर उत्पीड़न के मामले को झूठा दिखाने की भी कोशिश कर सकते हैं। इसलिए हमें सच जानने के लिए गहराई में जाना होगा।
मेनका ने कहा कि एनसीडब्ल्यू को शिकायतें दर्ज करने के लिए एक मजबूत तंत्र बनाना चाहिए, ताकि झूठी शिकायतों का पता चल सके। मेनका ने कहा कि कंप्लेंट की रसीद शख्स के आधार और मोबाइल नंबर से जुड़ी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं से जुड़े मामलों को निपटाना पहली प्राथमिकता है। लेकिन साथ ही महिलाओं को बचाने के लिए बनाए गए कानूनों का दुरुपयोग रोकना भी हमारे लिए चिंता का विषय है।
एनसीडब्ल्यू ने यह दिया जवाब: इस बारे में आयोग के अधिकारियों ने कहा कि यह कदम उन गाइडलाइंस के खिलाफ जाएगा, जिस पर संस्था आधारित है। जनवरी 1992 में एनसीडब्ल्यू को एक कानूनी निकाय के तौर पर राष्ट्रीय महिला आयोग कानून, 1990 के तहत स्थापित किया गया था और इस पर मंत्रालय का कोई अधिकार नहीं है। एक अफसर ने कहा, पुरुष अन्य जगहों जैसे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भी अपनी समस्याएं रख सकते हैं। उन्होंने कहा, इस कदम से आयोग मुकदमेबाजी की जगह बना जाएगा, जिसका मतलब होगा सरकार के खिलाफ मुकदमेबाजी करना। बता दें कि एनसीडब्ल्यू हर साल 23000 मामले देखता है, जिसमें से ज्यादातर घरेलू हिंसा के होते हैं।