रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने यह स्वीकार करते हुए कि कुछ पूर्व के घोटालों से उनके मंत्रालय में संदेह की मानसिकता उत्पन्न हुई है कहा कि इस रूख से छुटकारा पाने की जरूरत है क्योंकि प्रक्रियाओं को बेवजह कसने से उद्योग एवं समग्र रूप से देश को नुकसान हो रहा है। पर्रिकर ने कहा, ‘‘पिछले डेढ़ वर्ष के दौरान हमने विश्लेषण करने का प्रयास किया…कभी कभी यह काफी परेशान करने वाला है कि क्योंकि कुछ घोटाले हुए हैं हमने प्रक्रियाओं को इस सीमा तक कसते रहे हैं कि खरीद प्रक्रिया के मूल पहलू को ही भुला दिया गया है।’’
उन्होंने कहा कि रक्षा खरीद के लिए एक बार अनुरोध प्रस्ताव जारी हो जाने के बाद रिश्वत या अनुचित व्यवहार के संदेह के चलते उसमें कोई भी परिवर्तन की इजाजत नहीं दी जाती।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बारे में सोचता हूं कि प्रक्रिया में बदलाव करके इस स्थिति से कैसे पार पाया जाए जबकि रक्षा में सभी को इस बारे में यकीन दिलाते हुए कि इसके बावजूद यह बहुत पारदर्शी रह सकता है।’’ पर्रिकर सातवें ‘स्ट्रैटेजिक इलेक्ट्रानिक्स सम्मिट 2016’ में बोल रहे थे जिसका आयोजन इलेक्ट्रानिक्स उद्योग निकाय ईएलसीआईएनए ने यहां किया था।