प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि दुनिया को इस्लाम के सही स्वरुप को सही रूप में पहुंचाना सबसे अधिक आवश्यक हो गया है, साथ ही सूफी परंपरा के प्रेम, उदारता के संदेश को रेखांकित करते हुए उन्होंने उम्मीद जतायी कि सभी धर्म के लोग इस परंपरा को समझेंगे।
आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, कुछ दिन पहले मुझे सूफी परम्परा के विद्वानों से मिलने और उनकी बातें सुनने का अवसर मिला।
उनके तजुर्बे से, उनकी बातें, उनके शब्दों का चयन, उनके बातचीत का तरीका… सूफी परम्परा की उदारता, सौम्यता को प्रदर्शित करता हैं। सूफी परंपरा में एक संगीत का लय है, उन सबकी अनुभूति इन विद्वानों के बीच में हुई।
उन्होंने कहा, मुझे विश्वास है कि सूफी परम्परा जो प्रेम से जुड़ा हुआ है, उदारता से जुड़ा हुआ है, वे इस संदेश को दूर-दूर तक पहुंचायेंगे, जो मानव-जाति को लाभ करेगा, इस्लाम का भी लाभ करेगा। मोदी ने कहा कि और मैं औरों को भी कहता हूं कि हम किसी भी संप्रदाय को क्यों न मानते हों, लेकिन सूफी परम्परा को समझना चाहिये।
उन्होंने कहा कि सूफी संतों द्वारा प्रस्तुत विचारधारा भारतीय लोकाचार का अभिन्न हिस्सा है लेकिन कट्टरपंथी ताकतें इन्हें कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि मोदी से गुरूवार को 40 सूफी संतों के शिष्टमंडल ने मुलाकात की थी।
मोदी ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में उन्हें बोधगया जाने का अवसर मिलने वाला है। भारत में, विश्व के कई देशों के बौद्ध परंपरा के विद्वान बोधगया में आने वाले हैं, और मानवजाति से जुड़े हुए वैश्विक विषयों पर चर्चा करने वाले हैं।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरु बोधगया गए थे। मुझे विश्व भर के इन विद्वानों के साथ, बोधगया जाने का अवसर मिलने वाला है, मेरे लिए एक बहुत ही आनंद का पल है।