मणिपुर के वायरल वीडियो वाले मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। जिस तरह से दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाया गया था, वो देख पूरा देश आक्रोशित था और उस वजह से भी हिंसा राज्य में काफी ज्यादा बढ़ गई थी। अब मामले की गंभीरता को समझते हुए गृह मंत्रालय ने जांच सीबीआई को सौंप दी है। विपक्ष द्वारा तो पहले से ही ये मांग की जा रही थी, अब सीबीआई द्वारा जांच शुरू कर दी जाएगी।

मणिपुर पर सरकार का एक्शन

इसके अलावा सरकार ने फैसला किया है कि मणिपुर में अतिरिक्त 35000 सुरक्षाकर्मियों की फोर्स भेजी जाएगी। कुकी और मैतेई समुदय के बीच में जो विवाद वाले इलाके हैं, वहां पर बफर जोन बनाने का भी ऐलान हुआ है। वहीं कटीले तारों के जरिए भी सीमा पर सुरक्षा भी और ज्यादा मुस्तैद करने की बात है। सरकार का कहना है कि पीएम मोदी खुद पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं और लगातार बात कर रहे हैं।

वायरल वीडियो वाला क्या मामला?

वैसे जिस वायरल वीडियो वाले मामले की जांच अब सीबीआई करने जा रही है, असल में वो पूरी तरह एक अफवाह पर आधारित थी। जब जांच की गई तो पता चला कि चार मई वाली घटना से पहले एक अफवाह फैली जिसमें कहा गया कि मैतेई समुदाय की महिला के साथ रेप किया गया। ये जान पहले से चल रहा संघर्ष और ज्यादा उग्र हो गया और मैतेई समुदाय के लोगों ने बदला लेने की ठान ली। उसके बाद मैतेई समुदाय की ही एक भीड़ कोंगपो जिले के एक गांव में जा घुसी। वहां पर बड़े स्तर पर लूटपाट को अंजाम दिया गया, कई घरों को आग के हवाले भी किया गया। इसके बाद ही दो महिलाओं के साथ बर्बरता हुई और नए सिरे से ये विवाद शुरू हुआ।

मणिपुर क्यों जल रहा है, क्या है पूरा विवाद?

वैसे इस पूरे मामले की जड़ भी मणिपुर का वो विवाद है जो वैसे तो कई सालों से चला आ रहा है, पिछले कुछ महीनों ने इसने अपना रौद्र रूप दिखा दिया है। असल में मणिपुर में तीन समुदाय सक्रिय हैं- इसमें दो पहाड़ों पर बसे हैं तो एक घाटी में रहता है। मैतेई हिंदू समुदाय है और 53 फीसदी के करीब है जो घाटी में रहता है। वहीं दो और समुदाय हैं- नागा और कुकी, ये दोनों ही आदिवासी समाज से आते हैं और पहाड़ों में बसे हुए हैं। अब मणिपुर का एक कानून है, जो कहता है कि मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में रह सकते हैं और उन्हें पहाड़ी क्षेत्र में जमीन खरीदने का कोई अधिकार नहीं होगा। ये समुदाय चाहता जरूर है कि इसे अनुसूचित जाति का दर्जा मिले, लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है।

हाल ही में हाई कोर्ट ने एक टिप्पणी में कहा था कि राज्य सरकार को मैतेई समुदाय की इस मांग पर विचार करना चाहिए। उसके बाद से राज्य की सियासत में तनाव है और विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। ऐसे ही एक आदिवासी मार्च के दौरान बवाल हो गया और देखते ही देखते हिंसा भड़क गई।