मणिपुर में जारी हिंसा के बीच राज्य में सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। इंफाल घाटी के सीमांत क्षेत्रों में बलों की तैनाती बढ़ाई जा रही है। अब एक जिले में अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न बलों की टुकड़ियों को तैनात करने के बजाय कुछ जिलों की जिम्मेदारी एक ही बल को देने का फैसला लिया गया है।

बढ़ती हिंसा को देखते हुए, मणिपुर में सुरक्षा बलों ने उन क्षेत्रों में जहां घाटी पहाड़ियों से मिलती है बफर जोन बनाने का फैसला लिया था ताकि घाटी के लोगों को पहाड़ियों की ओर जाने से रोका जा सके और पहाड़ी के लोगों को घाटी में आने से। हालांकि, इंफाल पश्चिम-कांगपोकपी सीमा पर पिछले दिनों में आगजनी की कुछ घटनाओं ने सुरक्षा व्यवस्था की अपर्याप्तता को उजागर कर दिया है।

Manipur Violence: एक फोर्स को दी जाएगी एक जिले की जिम्मेदारी

सुरक्षा बलों द्वारा हिंसा पर काबू न पाने के कारणों का विश्लेषण करने पर विभिन्न बलों के बीच उचित समन्वय की कमी और उनकी द्वारा कवर किया जाने वाले एरिया का बहुत बड़ा होना शामिल है। ऐसे में जब तक कि ज्यादा बलों को तैनात नहीं किया जाता है, समन्वय के मुद्दे को हल करने के लिए एक बल को एक पूरे जिले या उससे ज्यादा की जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया गया है। यह फैसला मणिपुर में मौजूद बल की संख्या के आधार पर किया गया है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”अभी बहुत सारी ऊर्जा अकेले समन्वय में खर्च हो रही है। यह कमांड और नियंत्रण संरचना को मजबूत करेगा और साथ ही सुचारू लॉजिस्टिक्स प्रबंधन की सुविधा प्रदान करेगा। मान लीजिए, अगर बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिले बीएसएफ को दे दिए जाते हैं, तो गलतियों के लिए केवल वही जिम्मेदार होंगे और एक्टिव रहेंगे। साथ ही, कमांडरों के लिए जमीन पर बलों को तैनात करना और मैनेज करना आसान होगा क्योंकि पूरे क्षेत्र के लिए एक ही कमांड संरचना होगी।”

वर्तमान में, मणिपुर में लगभग 40,000 केंद्रीय बल के जवान तैनात हैं। इनमें असम राइफल्स, भारतीय सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और आईटीबीपी शामिल हैं। किसी जिले के किसी भी सीमांत क्षेत्र में इन सभी बलों को तैनात किया जाता है।