मणिपुर में पिछले महीने से शुरू हुई हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। बुधवार को कुछ उपद्रवियों ने इंफाल वेस्ट के लाम्फेल क्षेत्र में राज्य की महिला मंत्री नेमचा किपगेन के घर में आग लगा दी। यह घटना बुधवार शाम की है। अधिकारियों ने बताया कि जब उपद्रवियों ने मंत्री के सरकारी बंगले में आग लगाई तो किपगेन घर पर नहीं थी। सूचना मिलते ही दमकलकर्मियों ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया।

हिंसा में 9 की मौत 10 घायल

किपगेन कुकी समुदाय की नेता हैं। अभी तक किसी समूह ने आगजनी की जिम्मेदारी नहीं ली है। इससे पहले 13 जून को कांगपोकपी जिले में देर रात हिंसा भड़की थी, जिसमें उपद्रवियों की गोलीबारी और आगजनी में नौ लोग मारे गए थे जबकि 10 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। खबरों के मुताबिक, खमेनलोक गांव में उपद्रवियों ने कई घरों को आग के हवाले कर दिया था।

मणिपुर के 11 जिलों में कर्फ्यू

अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले, मंगलवार देर रात करीब एक बजे हथियारबंद बदमाशों ने इंफाल पूर्वी जिले और कांगपोकी जिले की सीमा से लगे खमेनलोक क्षेत्र के कुकी गांव को घेरकर हमला शुरू कर दिया। इसके बाद हुई गोलीबारी में दोनों पक्षों के लोग हताहत हो गए। यह क्षेत्र मेइती-बहुल इंफाल पूर्वी जिले और आदिवासी बहुल कांगपोकपी जिले की सीमाओं के पास स्थित है।

इस बीच जिला अधिकारियों ने इंफाल पूर्वी जिले और इंफाल पश्चिम जिले में कर्फ्यू में छूट के घंटे कम कर दिये हैं। पहले यह छूट सुबह पांच बजे से शाम छह बजे तक थी, लेकिन अब इसे नौ बजे से छह बजे कर दिया गया है। मणिपुर के 16 में से 11 जिलों में कर्फ्यू लागू है, जबकि इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं। जिलों में रबर की गोलियों की फायरिंग और आंसू गैस के इस्तेमाल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री आर.के. दोरेंद्र के घर के सामने कई महिलाओं ने धरना दिया।

मणिपुर हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोग गंवा चुके हैं जान

राज्य में शांति बहाल करने के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया है। गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई 2023 को आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं। जिसमें अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 310 से ज्यादा घायल हुए हैं। मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं।