मणिपुर में हिंसा लगातार जारी है। इसका ताज़ा उदाहरण मंगलवार को कांगपोकपी जिले के खमेनलोक गांव में हुई हिंसा है। जहां उपद्रवियों द्वारा गोली चलाने और आगजनी करने के बाद 9 लोगों के मारे जाने और 10 के घायल होने की खबर सामने आई थी। सरकार इस प्रयास में जुटी है कि राज्य में किसी भी तरह हिंसा शांत हो और सब नॉर्मल हो जाए। लेकिन सरकार के लिए यह इतना आसान होता नहीं दिखाई दे रहा है।
कुकी संगठनों ने केंद्र की शांति समिति दूरी बना ली है, जिसका गठन मणिपुर की स्थिति पर बातचीत की सुविधा के लिए किया गया था। कुकी संगठनों का कहना है कि वे मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह के अधीन किसी भी तरह का विचार-विमर्श नहीं कर सकते हैं। सिर्फ कुकी ही नहीं मैतेई समुदाय ने भी 10 जून को गठित शांति समिति से खुद को दूर कर लिया है।
दोनों समुदाय ने बनाई दूरी, कहा- ऐसे नहीं होगी हिंसा खत्म
संगठनों का कहना है कि शांति स्थापति हो यह हम भी चाहते हैं लेकिन मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह जो खुद इस हिंसा के पीछे हैं उन्हें कमेटी में शामिल करना हमारा अपमान है। कुकी इंपी मणिपुर (किम) के अध्यक्ष अजांग खोंगसाई ने भी ने कहा, “हम शांति चाहते हैं। शांति कौन नहीं चाहता? लेकिन अगर हिंसा जारी रहती है, तो क्या ही होगा? यहां तक कि मंत्रियों और विधायकों को भी नहीं बख्शा गया. मेरे जैसा आदमी कैसे उस बैठक में शामिल हो सकता है?
पैटे ट्राइब काउंसिल के अध्यक्ष के सुआंथंग ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि समुदाय 17 मई को आइज़ोल में आयोजित परामर्शी बैठक के दौरान लिए गए प्रस्तावों के साथ खड़ा है। जिसमें समुदाय से जुड़े सभी लोग शामिल हुए थे। इस मीटिंग में प्रस्ताव पास हुआ था कि कुकिस के लिए अलग प्रशासन का की मांग का समर्थन करना था और दूसरा मणिपुर सरकार के साथ किसी भी तरह की बातचीत को बढ़ावा नहीं देना था।
सरकार द्वारा शांति का माहौल बनाने की कोशिश में बनाई गयी कमेटी में 51 लोग शामिल थे जिसमें 25 मेइती समुदाय के प्रतिनिधि थे, 11 कुकी, 10 नागा शामिल थे। कमेटी के सदस्यों में से कई लोगों का कहना है कि उनसे पूछे बिना शांति कमेटी में उनका नाम शामिल किया गया है। एक रिटायर्ड अधिकारी का कहना है कि उनका नाम भी बिना किसी सूचना के पीस कमेटी में डाला गया है। उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि यह इस तरह से काम नहीं करेगा और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पर सब कुछ छोड़ने के बजाय केंद्र सरकार को इस समिति का हिस्सा होना चाहिए।”