उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में हिंसा की आग थमने का नाम ही नहीं ले रही है। इस बीच इंफाल पूर्वी जिले के अधिकारियों ने रविवार (18 जून) को सुबह 5 बजे से शाम 5 बजे तक कर्फ्यू में ढील देने का फैसला किया। कर्फ्यू में ढील देने का फैसला इसलिए लिया गया ताकि आम जनता को दवाओं और खाद्य पदार्थों सहित आवश्यक वस्तुओं की खरीद में आसानी हो सके। वहीं, भारतीय सेना ने इंफाल घाटी में हिंसा प्रभावित क्षेत्र में फ्लैग मार्च किया।

20 जून तक इंटरनेट बंद

रविवार को जिन क्षेत्रों में कर्फ्यू में ढील दी जाएगी उनमें हट्टा क्रॉसिंग से आरडीएस क्रॉसिंग, इंफाल नदी संजेनथोंग से मिनुथोंग, मिनुथोंग से हट्टा क्रॉसिंग और आरडीएस क्रॉसिंग से संजेनथोंग शामिल हैं। गौरतलब है कि 3 मई को कुकी और मेईती समुदायों के बीच झड़पों के बाद मणिपुर में धारा 144 के तहत कर्फ्यू लगा दिया गया है। हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई और हजारों लोग विस्थापित हुए। राज्य सरकार ने इंटरनेट बंद को 20 जून तक के लिए बढ़ा दिया है।

मेईती लोगों के घरों को किया आग के हवाले

कुकी बहुल चुराचांदपुर में मेईती समुदाय के लोगों के घरों को आग के हवाले कर दिया गया और बुलडोजर चला दिया गया। कई जगहों पर तो आखिरी ईंट तक साफ कर दी गई है और जमीन का एक टुकड़ा बचा रह गया है। चुराचांदपुर (एक मेईती नाम) का उल्लेख करने वाले साइनबोर्ड और मील के पत्थर को काला कर दिया गया है और शहर को लमका (एक कुकी शब्द) नाम देने वाले स्टिकर उन पर चिपकाए गए हैं। इसी तरह, इंफाल पूर्व में न्यू चेकॉन में जहां पिछले दो दिनों में कुकी संपत्तियों को निशाना बनाया गया था, कॉलोनी का नाम साइनबोर्ड पर काला कर दिया गया है।

मणिपुर में 45 दिन पहले दो समुदायों के बीच हुई जातीय हिंसा में 120 से ज्यादा लोग मारे गए और 4,000 से अधिक घर जल गए। एक अधिकारी ने कहा कि इंफाल में आज भी मेईती कुकी संपत्तियों को टारगेट करते हैं, वहीं अन्य जगहों पर मेईती की संपत्तियों को निशाना बनाया जा रहा है। दोनों तरफ से संदेश साफ है, ‘अब आपका यहां स्वागत नहीं है।’

मेईती नागरिक समाज समूह के प्रवक्ता खुरैजाम अथौबा ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि निर्दोष नागरिक समुदायों के बीच कोई दुश्मनी नहीं है। यह केवल नार्को-आतंकवादियों और मेईती लोगों के बीच है। अगर हम सभी आतंकवादी समूहों का सफाया कर दें, तो शांतिपूर्ण तरीके से एक साथ रह सकते हैं।