हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर में तैनात असम राइफल्स की लगभग सात बटालियनों को पिछले 18 दिन से ताज़ा राशन नहीं मिला सका है। कहा जा रहा है कि मैतई समुदाय के लोगों ने उन रास्तों को ब्लॉक किया है जहां से राशन की सप्लाई होनी थी।  मैतई समुदाय असम राइफल्स के विरोध में है और यह आरोप लगता रहा है कि असम राइफल्स जारी संघर्ष में कुकी समुदाय का पक्ष ले रहा है।

 मैतई समूहों ने असम राइफल्स पर कुकी समुदाय के प्रभाव  वाली पहाड़ियों में अवैध अफीम की खेती का समर्थन करने, म्यांमार से कूकी-चिन जनजातियों के “अवैध आप्रवासन” पर आंख मूंदने  और पिछले महीने संघर्ष के शुरुआती दिनों में मैतई गांवों को आग से बचाने में ढीला रवैया बरतने का आरोप लगाया है। 

असम राइफल्स का क्या कहना है?

असम राइफल्स के एक अधिकारी का कहना है कि वे (मैतई समुदाय) हमारे ऊपर  कुकी समुदाय का पक्ष लेने का आरोप लगाते हैं और कहते हैं कि हम आपके ट्रकों को यहां से नहीं गुजरने देंगे. हमारा बहुत सारा राशन ट्रकों में सड़ गया है।हमारे लिए यह बेहद मुश्किल हो रहा है। 

अधिकारी ने कहा कि ऐसा कई बार हुआ है जब सीआरपीएफ की रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) ने बैरिकेड्स को तोड़ने के लिए बल प्रयोग किया है, लेकिन पांच किलोमीटर आगे एक नई नाकाबंदी पाई जाती है। आखिर हम कितना बल प्रयोग कर सकते हैं।

कहां-कहां आ रही है ज़्यादा दिक्कत?

सूत्रों के मुताबिक नेशनल हाइवे- NH2 को कुकी समुदाय ने बंद किया हुआ है, यह एक अहम राजमार्ग है जहां से राशन पहुंचाया जाता है। हालांकि असम राइफल्स के ट्रकों को यहां से गुजरने अनुमति दी गई है, लेकिन समस्या तब शुरू होती है जब ट्रक सिगमई (मैतई इलाके) में पहुंचते हैं। सूत्रों ने कहा कि समुदाय की महिलाएं सड़कों को बंद करके बैठी हैं।

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यहां तक कि अगर राशन लेकर गाड़ियां किसी तरह इम्फाल पहुंचती है, तो उन्हें दक्षिण मणिपुर ले जाना मुश्किल हो जाता है, जिसमें चुराचांदपुर, टेग्नोपोल और चंदेल जिले शामिल हैं, क्योंकि ट्रकों को बिष्णुपुर और मोइरांग में रोक दिया जाता है।