मणिपुर में दो महिलाओं के साथ हुई शर्मसार कर देने वाली घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पूरे देश में आक्रोश है। सवाल उठ रहे हैं कि शिकायत दर्ज होने के बाद भी पुलिस ने एक्शन लेने में दो महीने क्यों लगा दिए? इस बारे में जब ‘द इंडियन एक्सप्रस’ ने थौबल के पुलिस अधीक्षक सचिदानंद से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि पुलिस “सबूतों की कमी” की वजह से अब तक “कोई कार्रवाई नहीं कर सकी”।

उन्होंने कहा कि हमें कल ही वीडियो के बारे में पता चला। अब क्योंकि हमारे पास वीडियो के रूप में सबूत है, हमने एक्शन लेना शुरू कर दिया है और गिरफ्तारियां की जा रही हैं। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि घटना के बाद पीड़ित महिलाओं के थौबल में ना होने की वजह से भी एक्शन लेने में देरी हुई।

पीड़ित महिलाओं द्वारा दी गई शिकायत में यह कहा गया है कि जब भीड़ ने उन्हें पकड़ा, तब वो थौबल के नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन के पुलिस कर्मियों के साथ थीं। द इंडियन एक्सप्रेस ने जब SP से सवाल किया कि घटना के समय महिलाओं के साथ मौजूद पुलिसकर्मियों ने किसी भी अपराधी की पहचान क्यों नहीं की तो उन्होंने जवाब दिया, “उसी दिन, नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन से भीड़ ने हथियार लूटने की कोशिश की थी। पुलिस थाने की सुरक्षा में जुटी थी।”

उन्होंने कहा कि शिकायत में यह आरोप सही नहीं है। पुलिस मौके पर मौजूद नहीं थी।

पीड़िता बोली- पुलिस ने भीड़ को सौंपा

बता दें कि SP का यह बयान उस पीड़ित महिला के स्टेटमेंट से पूरी तरह उलट है, जिसके साथ गैंगरेप की घटना हुई है। पीड़िता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हमारे गांव पर भीड़ ने हमला किया, तब पुलिस उनके साथ मौजूद थी। पुलिस ने हमें हमारे घर के पास से उठाया, हमें गांव से कुछ दूरी पर ले गए और फिर रोड पर हमें भीड़ के साथ छोड़ दिया। हमें पुलिस द्वारा उनके हवाले किया गया।”

मामले में एक्शन में हुई देरी की एक वजह पुलिस थानों के बीच केस के ट्रांसफर होने में समय लगना बताया जा रहा है। इस घटना की शिकायत पर कांगपोकपी जिले में सैकुल पुलिस स्टेशन में जीरो FIR दर्ज की गई थी। इसके बाद 21 जून को यह मामला नोंगपोक सेकमाई के संबंधित पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर किया गया। मणिपुर पुलिस द्वारा दर्ज FIR में रेप, किडनैपिंग और मर्डर सहित कई धाराओं के तहत “लगभग 900-1,000 की संख्या में अज्ञात बदमाशों” के खिलाफ ममला दर्ज किया गया था।