मद्रास हाई कोर्ट ने बुधवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पेरम्बलुर जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि वेप्पनथट्टई गांव में श्री वेद मरियम्मन मंदिर की रथयात्रा उन सड़कों से होकर गुजरे जहां एससी कैटेगरी के लोग रहते हैं। जस्टिस पी. वेलमुरुगन ने पेरम्बलूर आरडीओ की 3 जून की पीस कमेटी की की कार्यवाही को रद्द करते हुए यह आदेश पारित किया।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने डीएलएसए को क्षेत्र का दौरा करने, अनुसूचित जाति की सड़कों की चौड़ाई नापने और एक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया। डीएलएसए की रिपोर्ट के मुताबिक, सड़कें इतनी चौड़ी थीं कि मंदिर की गाड़ी बिना किसी परेशानी के आसानी से गुजर सकती थी। इसमें किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं थी।

कोर्ट ने पीस कमेटी की कार्यवाही को रद्द किया

जस्टिस ने पेरम्बलुर रेवेन्यू डिवीजनल ऑफिसर की 3 जून की पीस कमेटी की कार्यवाही को रद्द कर दिया। इसमें कुछ एससी कैटेगरी के लोगों से एक एग्रीमेंट पर साइन करवा लिए गए थे। इसमें कहा गया था कि इस साल के उत्सव के दौरान मंदिर की गाड़ी को उनकी गलियों से गुजरने की कोई भी जरूरत नहीं है। कोर्ट ने अनुसूचित जाति के दो लोगों की रिट याचिका को स्वीकार कर लिया।

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डीएसपी को कोर्ट ने दिया निर्देश

इसमें आरडीओ की कार्यवाही को इस आधार पर अवैध और असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने की मांग की गई थी कि यह भेदभावपूर्ण प्रथाओं को बढ़ावा देती है और जाति के आधार पर पूजा करने के अधिकार से वंचित करती है। जस्टिस ने पेरम्बलुर के डीएसपी को यह भी निर्देश दिया कि जब भी मंदिर की रथयात्रा गांव के अनुसूचित जाति के लोगों की गलियों से गुजरे तो कानून-व्यवस्था में किसी तरह की कोई परेशानी ना हो। इसके लिए पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाए।

हिंदुओं ने डीएलएसए की रिपोर्ट पर जताई आपत्ति

बता दें कि जस्टिस वेलमुरुगन ने 11 जून को डीएलएसए सचिव को गलियों की जांच करने और उनकी चौड़ाई नापने का निर्देश दिया था। ऐसा इस वजह से था क्योंकि जिला प्रशासन का मानना था कि मंदिर की रथयात्रा 3.6 मीटर चौड़ी है और पांच मीटर चौड़ी गलियों से इसे ले जाना मुश्किल होगा। बुधवार को जब मामले की सुनवाई हुई, तो गांव के कुछ सवर्ण हिंदुओं के वकील ने डीएलएसए की तरफ से दायर की गई रिपोर्ट पर आपत्ति जताई। हालांकि, जस्टिस ने आपत्तियों खारिज कर दिया। हर बार नहीं किया जा सकता फोन टैप, हाई कोर्ट ने CBI को लगा दी फटकार