राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की एक अदालत में उस समय हैरान करने वाला मामला सामने आया है जब घरेलू हिंसा और पहली पत्नी से तलाक के बिना दूसरी शादी के आरोप में मामले की सुनवाई चल रही थी। इस दौरान शख्स ने कोर्ट में कहा कि पत्नी को चार साल पहले ही तलाक दे चुका है। हालांकि पत्नी को तलाक के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। पिछले शनिवार तीस हजारी की मेट्रोपोलिटन मेजिस्ट्रेट नेहा पालिवाल की महिला कोर्ट में पति तीन साल में पहली बार पत्नी के सामने आया। पति ने कोर्ट के सामने पेश दस्तावेज में कहा कि उसने 22 सितंबर 2013 को पत्नी को तलाक दे दिया था। उसके तलाकनामा भी पेश किया। महिला की वकील ने कहा कि तीन साल में वह एक भी सुनवाई में कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ। अब वह कह रहा है कि उसने पत्नी को तलाक दे दिया है। महिला को यह केवल अदालत में बताया गया है कि पति ने उसे तलाक दिया है। वकील ने कहा कि हम इन दस्तावेजों की प्रमाणिकता को चुनौती देंगे और ट्रिपल तलाक को भी चुनौती देंगे।

महिला ने साल 2014 में प्रताड़ित और गालीगलौज करने का आरोप लगाते हुए कोर्ट में शिकायत की। उसके द्वारा पति पर घरेलू हिंसा एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग की गई। महिला ने मेंटिनेंस की भी मांग की और कोर्ट को बताया कि पति ने बिना उसे तलाक दिए दूसरी शादी कर ली है। महिला को 22 जुलाई 2014 को पति के दूसरी शादी करने की जानकारी हुई। पति ने कोर्ट में बताया कि उसने 29 सितंबर 2013 को पत्नी तलाक दे दिया था। उसका दावा है कि उसने मेहर की राशि भा वापस कर दी थी। पति की ओर से कोर्ट में पेश किए दस्तावेज के मुताबिक, “मुस्लिम लॉ के तहत इद्दत अवधि के दौरान उसने तीन महीने पत्नी को खर्च के रूप में मनी ऑर्डर के जरिए 6000 रुपए भेजे थे। तलाक के बाद बीवी 3 महीने यानी 3 तीन हैज़ शौहर ही के घर रहेगी और उसका खर्च भी शौहर ही के जिम्‍मे रहेगा, इसे इद्दत कहा जाता है। इस दौरान महिला किसी दूसरे शख्स से शादी नहीं कर सकती।”

महिला की वकील ने कहा कि पति की ओर से तलाक के पेपर कोर्ट के द्वारा जुर्माना (2000 रुपए) लगाए जाने के बाद पेश किए गए है। इससे पहले केवल उसके पिता अदालत के सामने उपस्थित हुए हैं और एक जवाब दायर किया है। जिसके बाद कोर्ट ने जुर्माना लगाया था। जुर्माना लगाए जाने के बाद वह सामने आया है और अपने बचाव में तलाकनामा पेश किया। तीन साल में उसने किसी भी तरह के दस्तावेज पेश नहीं किए।