कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि उन्हें जो अध्यक्ष पद मिला है, वो सोनिया और राहुल गांधी के कहने पर दिया गया है। ये बयान मायने रखता है क्योंकि पार्टी ने सामने से यहीं दिखाया था कि पूरी वोटिंग और तय प्रक्रिया के बाद खड़गे को इस पद के लिए चुना गया। अब ऐसे कयास राजनीतिक गलियारे में लगते रहते थे, लेकिन खुद खड़गे का सामने से आकर ऐसा बोलना मायने रखता है।
खड़गे के बयान के मायने
जानकारी के लिए बता दें कि इस बार के अध्यक्ष चुनाव में मुकाबला शशि थरूर बनाम मल्लिकार्जुन खड़गे का था। चुनाव पहले से ही एकतरफा चल रहा था, ऐसे में वोटिंग को औपचारिकता ही माना गया। लेकिन अब खड़गे के खुलासे ने इस पूरी प्रक्रिया को ही सवालों के घेरे में ला दिया है। अगर सोनिया गांधी और राहुल के कहने पर ही अध्यक्ष पद मिला है, तो चुनाव का क्या मतलब?
कितना बदल गई कांग्रेस खड़गे के अध्यक्ष बनने से?
वैसे जब से मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं, कांग्रेस पार्टी का चुनावी परफॉर्मेंस काफी सुधरा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो कर्नाटक चुनाव में देखने को मिला जहां पर पार्टी ने अपनी सबसे बड़ी जीत दर्ज की। जिस तरह से अंदरूनी झगड़ों पर काबू पाया गया, जिस तरह से लोकल मुद्दों को तवज्जो दी गई, जिस तरह से सीधे मोदी पर हमला करने से बचा गया, ये सबकुछ खड़गे की ही रणनीति का हिस्सा रहा।
गांधी परिवार ही ज्यादा ताकतवर?
जानकार तो ये भी मानते हैं कि कर्नाटक चुनाव ने ही खड़गे को असल मायनों में अध्यक्ष बनाया। इससे पहले तक माना जा रहा था कि खड़गे नाम के अध्यक्ष रहने वाले हैं और असल ताकत गांधी परिवार के पास ही रहेगी। लेकिन कर्नाटक चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस अध्यक्ष के करियर को सियासी बूस्टर देने का काम कर दिया। लेकिन उस सब के बीच ये कहना कि सोनिया और राहुल की वजह से ही वे अध्यक्ष बने, ये अलग तरह की अटकलों को हवा देता है।