देश आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनकी 147वीं जयंती पर याद कर रहा है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गांधीजी को श्रद्धांजलि दी। रविवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजघाट पहुंचे और बापू को श्रद्धासुमन अर्पित किए। गांधी के समाधि स्थल ‘राजघाट’ पर उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू, दि ल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया तथा कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। आज पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी है। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू, दिल्ली के सीएम व डिप्टी सीएम विजयघाट पहुंचे।
भारत को आजादी दिलाने में महात्मा गांधी का योगदान बेहद महत्वपूर्ण और निर्णायक माना जाता है। ‘राष्ट्रपिता’ जैसी कोई आधिकारिक उपाधि न मिली होने के बावजूद गांधी को देश ‘बापू’ कहकर पुकारता है। गांधी ने दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद बिखरे भड़े भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एकजुट किया और आम जनमानस के मानस पटल पर बेहद स्पष्ट प्रभाव छोड़ा। गांधीजी की सादगी और अहिंसा को लेकर उनकी दृढ़निश्चतता आज भी लोगों को प्रेरित करती है। महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने गांधी जी के बारे में कहा था, ”आने वाली पीढ़ियों को यह भरोसा करने में बेहद मुश्किल होगी कि हांड-मांस का कोई ऐसा इंसान इस धरती पर कभी चला था।”
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में स्थान पर हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था। मोहनदास की मां का नाम पुतलीबाई था जो करमचंद गांधी की चौथी पत्नी थीं। मोहन अपने पिता की चौथी पत्नी की अन्तिम संतान थे।
मोहनदास करमचंद गांधी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के निदेशक थे। उन्हीं की प्रेरणा से 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो सकी। अपनी अदभुत आध्यात्मिक शक्ति से मानव जीवन के शाश्वत मूल्यों को उदभाषित करने वाले, विश्व इतिहास के महान तथा अमर नायक महात्मा गांधी आजीवन सत्य, अहिंसा और प्रेम का पथ प्रदर्शित करते रहे।
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