Sangam Ka Pani Mahakumbh: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ जारी है, 58 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। लेकिन इस आस्था के बीच एक विवाद भी संगम के साथ जुड़ चुका है। कुछ दिन पहले ही एक रिपोर्ट सामने आई जिसमें कहा गया कि संगम का पानी नहाने योग्य नहीं है, आप उसमें आचमन नहीं कर सकते। उस एक रिपोर्ट के बाद विवाद बढ़ गया और विपक्ष ने सरकार पर हमला किया। यह अलग बात है योगी सरकार ने उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया।

संगम के पानी को लेकर क्या दावा?

अब एक और रिपोर्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, उस रिपोर्ट में कहा गया है कि संगम का पानी तो अल्कलाइन वॉटर जितना शुद्ध है। असल में पद्मश्री पा चुके वैज्ञानिक डॉ अजय सोनकर ने जोर देकर बोला है कि गंगा का जल सिर्फ स्नान योग्य नहीं है बल्कि कहना चाहिए अल्कलाइन वॉटर जितना शुद्ध भी है। वैज्ञानिक के मुताबिक उन्होंने संगम अरैल और पांच दूसरे घाटों के गंगाजल की लैब में जांच की थी। उस जांच में पता चला है कि 57 करोड़ श्रद्धालुओं की आस्था के डुबकी के बाद भी पानी की शुद्धता में कोई कमी नहीं आई है।

बड़ी बात यह है कि डॉक्टर सोनकर एपीजे अब्दुल कलाम के साथ विचार विमर्श कर चुके हैं, एक समय उनके साथ काम करते थे। ऐसे में उनकी बोली बात की अहमियत काफी ज्यादा मानी जा रही है। वैज्ञानिक ने तो यहां तक बोला है कि अगर किसी को गंगाजल की शुद्धता पर सवाल है तो वे भी उनकी प्रयोगशाला में आ सकते हैं, वे उनके सामने जांच कर सकते हैं।

किसने बोला था- नहाने योग्य नहीं?

अब यह रिपोर्ट इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि इससे पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट ने अलग ही दावा कर दिया था। सीपीसीबी की रिपोर्ट में बताया गया था कि पानी में फेकल कोलीफॉर्म का स्तर काफी ज्यादा पाया गया है। असल में जांच टीम ने कई स्थानों पर पानी की जांच की थी, उस जांच के दौरान ही यह बात सामने आई कि पानी में फोकल कोलीफॉर्म की मात्रा काफी ज्यादा रही। इसका कारण भी सामने आया है, तर्क दिया जा रहा है कि इस समय क्योंकि संगम में करोड़ों लोग स्नान कर रहे हैं, उस वजह से फोकल कोलीफॉर्म की मात्रा बढ़ गई है। पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें