अंतिम शाही स्नान बसंत पंचमी की तैयारियां: प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दौरान हुए हादसे के बाद अब तीसरे और अंतिम शाही स्नान बसंत पंचमी की तैयारियां तेज हो गई हैं। इस हादसे में कई श्रद्धालुओं की मौत और कई लोग घायल हुए थे, जिससे व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। 4 फरवरी को होने वाले बसंत पंचमी स्नान के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं, ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के महाकुंभ में शामिल हो सकें और सुरक्षित अपने घर लौट सकें। इस शाही स्नान के बाद सभी अखाड़ों के साधु-संत अपने आश्रमों और डेरों में लौट जाएंगे, जिससे यह स्नान उनके लिए भी महत्वपूर्ण बन जाता है। प्रशासन खास तौर पर सभी संतों और अखाड़ों के साधुओं, नागाओं को सुरक्षित स्नान कराने के लिए अलर्ट है।

Prayagraj Mahakumbh Royal bath: प्रशासन श्रद्धालुओं को कम से कम पैदल चलाने की तैयारी

इस बार प्रयागराज आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था और भी कड़ी कर दी गई है। सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि श्रद्धालु कम से कम पैदल चलें और उन्हें पास के घाटों पर भेजा जाएगा, ताकि एक ही घाट पर बहुत अधिक भीड़ न हो। घाटों पर आने और जाने के रास्ते बढ़ाए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को स्नान के बाद घर लौटने में कोई समस्या न हो। इसके साथ ही ट्रेनों की संख्या भी बढ़ाई गई है और रेलवे और बस स्टेशनों पर अतिरिक्त इंतजाम किए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

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बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा होती है, जो खास महत्व रखती है। यही दिन उत्तर भारत के बड़े पर्व होलिकोत्सव की शुरुआत का भी होता है। इस दिन लोग गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं और सरस्वती की पूजा करने के साथ होलिका रखने की परंपरा भी निभाते हैं। इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत ज्यादा है, इसलिए इस बार की तैयारियां और भी विशेष की जा रही हैं। प्रशासन की कोशिश है कि श्रद्धालु इस दिन शांतिपूर्वक स्नान करें और सभी व्यवस्थाएं पूरी तरह से सुचारू रूप से चलें।

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महाकुंभ में हुए हादसे के बाद वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। अब किसी भी प्रकार के वाहन को कुंभ क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। वीवीआईपी पास भी रद्द कर दिए गए हैं, जिससे महाकुंभ क्षेत्र में सिर्फ आम श्रद्धालुओं को ही प्रवेश मिलेगा। इसके अलावा, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए “वन वे रूट्स” लागू कर दिए गए हैं, जिससे श्रद्धालुओं की आवाजाही में कोई परेशानी न हो। बाहरी जिलों से आने वाले वाहनों को शहर की सीमाओं पर ही रोक दिया जाएगा, ताकि कुंभ क्षेत्र में भीड़भाड़ कम हो सके और लोगों को सुरक्षित तरीके से स्नान करने का अवसर मिल सके।

सरकार ने इन बदलावों के साथ महाकुंभ के प्रशासनिक तंत्र में भी सुधार किए हैं। भगदड़ के बाद सीनियर IAS अधिकारी आशीष गोयल को महाकुंभ की व्यवस्थाओं का जिम्मा सौंपा गया है। वे 2019 में प्रयागराज के कमिश्नर थे और इस समय सारा पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन हैं। इसके अलावा, 2019 में प्रयागराज के डीएम रहे भानु चंद्र गोस्वामी को भी मेला प्रशासन की जिम्मेदारी दी गई है। इन अधिकारियों के नेतृत्व में महाकुंभ की व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने की कोशिश की जा रही है, ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के स्नान कर सकें और सुरक्षित अपने घर लौट सकें।

महाकुंभ में वीआईपी कल्चर को खत्म कर दिया गया है, जिससे अब सभी श्रद्धालु समान सुविधाएं प्राप्त कर सकेंगे। यह कदम आम श्रद्धालुओं के हित में लिया गया है, ताकि कोई भी व्यक्ति विशेष रूप से लाभ न उठा सके और महाकुंभ का माहौल और भी बेहतर हो सके। इस बदलाव से महाकुंभ में भेदभाव समाप्त होगा और हर श्रद्धालु को बराबरी का अवसर मिलेगा।

इसके अलावा, दूर-दूर से आ रहे श्रद्धालुओं को प्रयागराज के स्थानीय लोग अपनी तरफ से भोजन, पानी, बच्चों के दूध जैसी बुनियादी जरूरतें प्रदान करने के लिए आगे आ रहे हैं। कई सामाजिक संस्थाएं कैंप लगाकर श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन कर रही हैं। सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था के अतिरिक्त कई प्राइवेट डॉक्टर और उनके सहयोगी श्रद्धालुओं और आम लोगों के लिए जगह-जगह अपनी सेवाएं दे रहे हैं। तीसरे और अंतिम शाही स्नान को शांतिपूर्वक पूरा कराने के लिए स्थानीय सामाजिक संस्थाएं भी सक्रिय रूप से काम कर रही हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न हो।