महाकुंभ 2025 में आस्था और भक्ति के साथ अब किलकारियों की गूंज भी सुनाई दे रही है। 4,000 हेक्टेयर में फैले कुंभ क्षेत्र में बीते कुछ महीनों में करोड़ों श्रद्धालु पहुंचे हैं, लेकिन 11 महिलाओं और उनके परिवारों के लिए यह अनुभव और भी खास बन गया, क्योंकि उन्होंने कुंभ नगरी में ही अपने बच्चों को जन्म दिया।

महाकुंभ क्षेत्र में पहली बार आधुनिक अस्पतालों की सुविधा

महाकुंभ क्षेत्र में बेहतर चिकित्सा सुविधाओं के लिए 13 अस्पताल और 10 प्राथमिक चिकित्सा चौकियां स्थापित की गई हैं। इन अस्पतालों का प्रबंधन 105 सदस्यों की एक टीम कर रही है, जिसमें चार स्त्री रोग विशेषज्ञ भी शामिल हैं। खास बात यह है कि कुंभ क्षेत्र में कहीं भी जरूरतमंद महिलाओं को 125 एम्बुलेंस की मदद से सेंट्रल हॉस्पिटल लाया जाता है, जहां सुरक्षित प्रसव की सुविधाएं उपलब्ध हैं।

पहला जन्म ‘कुंभ’ नामक शिशु का

सेंट्रल हॉस्पिटल में पहली डिलीवरी 29 दिसंबर को हुई, जब कौशांबी की 20 वर्षीय सोनम ने एक पुत्र को जन्म दिया। उसके परिवार ने विशेष अवसर को देखते हुए नवजात का नाम “कुंभ” रखा। सोनम और उनके पति राजा रोजगार की तलाश में कुंभ मेले में आए थे और यहीं रह रहे थे। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने इस मौके पर दंपति को बधाई दी और कहा, “महाकुंभ क्षेत्र में परेड ग्राउंड के पास 100 बेड का अस्पताल तैयार किया गया है, जिसमें ओपीडी, जनरल वार्ड, डिलीवरी सेंटर, आईसीयू और ऑपरेशन थियेटर जैसी सुविधाएं हैं। इसके अलावा, अस्पताल में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए अलग-अलग वार्ड भी बनाए गए हैं।”

11वीं डिलीवरी 6 फरवरी को हुई

महाकुंभ क्षेत्र में अब तक कुल 11 बच्चों का जन्म हो चुका है। 6 फरवरी को बाराबंकी की 30 वर्षीय कंचन ने एक बेटे को जन्म दिया। इस बारे में सेंट्रल हॉस्पिटल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनोज कौशिक ने बताया, “अब तक अस्पताल में जितने भी प्रसव हुए हैं, वे सभी सामान्य रहे हैं। यहां उत्तर प्रदेश के अलावा झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों की महिलाएं भी आई हैं। कुछ महिलाएं कुंभ मेले में काम करने वाले कर्मचारियों की पत्नियां हैं, तो कुछ व्यापारी परिवारों से हैं, जो बड़ी संख्या में कुंभ में आए हैं।”

ग्वालियर से आई ज्योति ने भी कुंभ में दिया जन्म

ग्वालियर की 24 वर्षीय ज्योति शर्मा ने 27 जनवरी को कुंभ क्षेत्र में एक बेटी को जन्म दिया। 22 जनवरी को वह अपने पति आनंद शर्मा और परिवार के साथ कुंभ आई थीं। उनके ससुर राकेश शर्मा ने बताया, “डॉक्टर ने बताया था कि प्रसव में अभी एक महीने का समय है, इसलिए हमने ज्योति को भी कुंभ यात्रा पर साथ ले लिया।”

कुंभ क्षेत्र में 25 सेक्टर बनाए गए हैं, जिनमें ज्योति अपने परिवार के साथ सेक्टर 18 में एक अखाड़े में रह रही थीं। 27 जनवरी की सुबह जब उन्हें प्रसव पीड़ा हुई, तो उनके परिवार ने एम्बुलेंस को बुलाया, जो कुछ ही मिनटों में वहां पहुंच गई। पहले उन्हें सेक्टर 18 के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहाँ से डॉक्टरों ने सेक्टर 2 स्थित सेंट्रल हॉस्पिटल रेफर कर दिया, जहां उनकी सफल डिलीवरी हुई।

राकेश शर्मा ने बताया, “इलाके में भारी भीड़ के कारण सुरक्षा अधिकारियों ने हमें अस्पताल तक जाने नहीं दिया, लेकिन हमें फोन पर बच्चे के जन्म की सूचना मिल गई। ज्योति को उसी शाम छुट्टी दे दी गई और ग्वालियर लौटने से पहले हमने कुंभ में दो दिन और बिताए।”

महाकुंभ की आधिकारिक शुरुआत 13 जनवरी को हुई थी, लेकिन इससे पहले से ही लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचने लगे थे। प्रयागराज में संगम किनारे बनी विशाल टेंट सिटी में सेंट्रल हॉस्पिटल पहले से ही सक्रिय था।

डॉ. मनोज कौशिक के अनुसार, “13 जनवरी को कुंभ की औपचारिक शुरुआत के बाद से अब तक अस्पतालों में करीब 64,000 मरीजों का इलाज किया जा चुका है। अस्पतालों में हर जरूरी सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिससे श्रद्धालु निश्चिंत होकर महाकुंभ में शामिल हो सकें।”