Maha Kumbh 2025 News: महाकुंभ मेले में हर दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगा रहे हैं। गंगा स्नान के बाद पूजा अर्चना के दौरान कई बार लोग नदी में फूल व अन्य सामग्री प्रवाहित करते हैं। श्रद्धालु गंगा स्नान के दौरान किसी भी तरह की गंदगी का सामना न करें, इसके लिए महाकुंभ मेला प्रशासन लगातार दिन-रात काम कर रहा है।
महाकुंभ मेले में महाकुंभ में गंगा-यमुना को स्वच्छ एवं निर्मल बनाने के लिए ‘ट्रैश स्कीमर’ मशीनें लगाई गयी हैं। ये मशीनें हर दिन गंगा-यमुना से 10 से 15 टन कचरा निकाल रही हैं।
यूपी सरकार के एक बयान के अनुसार, निगम न सिर्फ श्रमिकों के जरिए बल्कि आधुनिक तरीके से भी गंगा-यमुना के संगम को स्वच्छ बनाने का काम हो रहा है। इसके लिए बकायदा ‘ट्रैश स्कीमर’ मशीनें लगाई गई हैं। ये मशीनें हर दिन गंगा-यमुना से 10 से 15 टन कचरा निकाल रही हैं।
बयान में कहा गया कि विश्व के सबसे बड़े आयोजन महाकुम्भ की तैयारी करीब चार साल पहले ही शुरू कर दी गई थी। संगम में स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को साफ और स्वच्छ जल मिले, इसके लिए एक ‘ट्रैश स्कीमर’ मशीन लगाई गई।
बयान के मुताबिक, तब यह मशीन 50-60 क्विंटल कचरा हर दिन निकालती थी। उसकी कार्य प्रणाली को देखते हुए करीब दो साल पहले एक और मशीन को प्रयागराज नगर निगम ने खरीदा। इसके बाद नदियों की सफाई की रफ्तार दोगुनी हो गई।
कैसे काम करती है ‘ट्रैश स्कीमर’ मशीन?
‘ट्रैश स्कीमर’ की मदद से पानी की सतह पर तैर रहे कचरे को इकट्ठा किया जाता है। इस मशीन का इस्तेमाल नदियों, बंदरगाहों और समुद्रों में कचरा साफ करने के लिए होता है। यह मशीन प्लास्टिक, बोतलें, धार्मिक कचरा, कपड़े, धातु की वस्तुएं, पूजा अपशिष्ट, मृत पशु और पक्षी आदि को एकत्र करती है।
नगर निगम के एक अधिकारी के मुताबिक, मशीन से एकत्र किए गए कचरे को नैनी के पास ही एक जगह डाल दिया जाता है। वहां से इस कचरे को रोजाना गाड़ियों से बसवार स्थित (शोधन संयंत्र) purification plant में ले जाया जाता है। वहां इस कचरे से नारियल, प्लास्टिक और अन्य सामग्री को अलग किया जाता है। प्लास्टिक को रि-साइकिल के लिए भेजा जाता है, जबकि अन्य सामग्री का खाद बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।
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