यौन हमले के एक आरोपी के खिलाफ डिंडीगुल के कलक्टर का एहतियाती हिरासत आदेश जारी करते समय ‘केस’ शब्द का बहुवचन इस्तेमाल किए जाने पर मद्रास हाई कोर्ट ने गुरुवार को झाड़ लगाई और आदेश को निरस्त कर दिया। न्यायमूर्ति पीआर शिवकुमार और न्यायमूर्ति वीएस रवि ने कलक्टरों और पुलिस आयुक्तों को शब्दों का इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतने के लिए कहा और आदेश को निरस्त कर दिया क्योंकि कलक्टर ने अपने आदेश में अपने दिमाग का इस्तेमाल किए बिना यांत्रिक रूप से ‘केस’ शब्द का बहुवचन (केसेज) इस्तेमाल किया।

यौन हमले के आरोपी की मां की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने रेखांकित किया कि कलक्टर ने सही उल्लेख किया कि एस शिवा उर्फ चोक्कनाथन (28) यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण कानून 2012 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून 1989 के तहत मामले का सामना कर रहा है। आरोपी पर 14 साल की दलित लड़की से बलात्कार का आरोप था।

पीठ ने यह भी उल्लेख किया कि आरोपी को गिरफ्तार किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया और उसकी जमानत याचिका तीन जून को डिंडीगुल की प्रधान जिला और सत्र अदालत में खारिज हो गई थी।

इसने कहा कि पुलिस को आशंका थी कि भविष्य में उसे जमानत मिल सकती है और इसलिए कलक्टर ने ‘केसेज’ शब्द का इस्तेमाल किया, जबकि समूचे हिरासत आदेश में उसके खिलाफ केवल एक मामला लंबित होने की बात थी।