केंद्र सरकार ने देश के पहले लोकपाल की नियुक्ति के 11 महीने बाद लोकपाल नियमों को अधिसूचित किया है। लोकपाल रूल्स में कहा गया है कि अगर किसी मौजूदा प्रधानमंत्री या पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई शिकायत करता है तो मामला दर्ज होते ही पूरी बेंच इसका फैसला करेगी कि क्या मामले में किसी जांच की जरूरत है या नहीं।
रूल्स में यह भी कहा गया है कि अगर बेंच पीएम या पूर्व पीएम के खिलाफ शिकायत को खारिज कर देती है तो उससे जुड़े रिकॉर्ड्स न तो प्रकाशित किए जाएंगे और न ही उसे किसी को दिया जाएगा। बता दें कि पीएम, पूर्व पीएम समेत सार्वजनिक अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए लोकपाल की स्थापना की गई है।
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा 2 मार्च, 2020 को जारी की गई अधिसूचना लोकपाल (शिकायत) नियम, 2020 में कहा गया है कि प्रधानमंत्री के खिलाफ दायर शिकायत पर लोकपाल अध्यक्ष की अध्यक्षता में पूरी बेंच मामला आते ही सुनवाई करेगी। बेंच दो तिहाई के बहुमत से फैसला करेगी कि पीएम के खिलाफ शिकायत की जांच शुरू करवाई जाए या नहीं?
लोकपाल रूल्स के सेक्शन-7 में कहा गया है, “अधिनियम की धारा 14 की उपधारा (1) के खंड (क) में निर्दिष्ट एक लोक सेवक के खिलाफ दायर शिकायत पहले चरण में खंड 14 के उप-खंड (1) के उपखंड (ii) के उप-खंड (ii) में निर्दिष्ट पूर्ण पीठ द्वारा तय किया जाएगा।” धारा 14 (1) (ii) में यह भी कहा गया है कि आगे की जांच “कैमरे के सामने की कार्यवाही” के तहत होगी और अगर लोकपाल इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि शिकायत खारिज करने योग्य है तो जांच से जुड़े दस्तावेज न तो किसी को दिए जाएंगे और नही उसे किसी रूप में प्रकाशित किया जाएगा।
नियम कहता है कि अगर किसी केंद्रीय मंत्री या किसी संसद सदस्य के खिलाफ शिकायत दायर होती है तो मामला दर्ज होते ही लोकपाल के तीन सदस्यों की पीठ उसकी सुनवाई करेगी और तय करेगी कि आगे की जांच जरूरी है या नहीं।
इसके साथ ही सरकार ने प्रधानमंत्री समेत लोकसेवकों के विरूद्ध कथित भ्रष्टाचार की शिकायत दाखिल करने के लिए प्रारूप भी जारी किया है। प्रारूप के मुताबिक, लोकपाल जस्टिस (रिटायर्ड) पिनाकी चंद्र घोष लोकपाल की पूछताछ विंग को शिकायत भेज सकते हैं जो प्रारंभिक जांच का आदेश दे सकती है। और अगर कोई प्रथम दृष्टया मामला है, तो लोकपाल सीबीआई जैसी जांच एजेंसी द्वारा जांच के लिए शिकायत का उल्लेख कर सकता है।
सरकार द्वारा अधिसूचित नियमों के अनुसार, लोकपाल को शिकायतकर्ता की पहचान की रक्षा करनी होगी, जबतक कि जांच किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच जाता। हालांकि, शिकायतकर्ता अगर खुद शिकायत करने के दौरान किसी भी प्राधिकरण को अपनी पहचान बताना चाहे तो वह ऐसा कर सकता है।
लोकपाल रूल्स में यह भी स्पष्ट किया गया है कि लोकपाल किन आधार पर शिकायतें खारिज कर सकता है। रूल्स में कहा गया है कि अगर शिकायत की सामग्री “अवैध”, “अस्पष्ट या तुच्छ” हो; या शिकायत में लोकसेवक के खिलाफ आरोप शामिल नहीं हो; या जहां शिकायत का कारण किसी अन्य न्यायालय या न्यायाधिकरण या प्राधिकरण के समक्ष लंबित हो; या और, कथित अपराध जिसके संबंध में शिकायत की जा रही है, वह सात साल की अवधि के भीतर का न हो तो ऐसी शिकायतें खारिज की जा सकती हैं।

