हाल ही में बिजली मंत्रालय ने कहा था कि भारत पहली बार वित्त वर्ष 2016-17 अप्रैल-फरवरी के दौरान बिजली का शुद्ध निर्यातक बना है। वहीं बिजली मंत्रालय के इस बयान के बाद संसद में बीते गुरुवार (30 मार्च) को कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया और ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल के बीच, देशभर में बिजली की स्थिति को लेकर तीखी बहस हो गई। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सरकार के बिजली निर्यात करने के दावे पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि हालात की असलियत कुछ और ही है। सिंधिया ने कहा- “बिजली मंत्रालय ने डिस्कॉम्स द्वारा की गई डिमांड के आधार पर बिजली के सरप्लस होने का दावा किया है लेकिन सच यह है कि देश के 6 करोड़ घरों को बिजली नहीं मिलती। इनमें से 80 फीसद घर बिहार, 45 फीसद मध्य प्रदेश और 70 फीसद यूपी और 65 फीसद झारखंड में हैं। ऐसे में सरकार कैसे यह दावा कर सकती है कि बिजली सरप्लस में है।”
वहीं सिंधिया के बयान के बाद पीयूष गोयल ने जवाब देते हुए कहा- “अच्चा हुआ जो कांग्रेस के पूर्व ऊर्जा मंत्री ने खुद ही अपनी सरकार के प्रदर्शन को विस्तार से उजागर कर दिया था। गोयल ने कहा कि जब वह मंत्री बने तो करोड़ों घरों में बिजली नहीं थी, हजारों गांवों तक बिजली नहीं पहुंच पाई थी, डिस्मोम्स को सालाना नुकसान 60,000 से 65,000 करोड़ का नुकसान हो रहा था। गोयल ने आगे कहा कि कांग्रेस ने अपने 10 वर्षों के कार्यकाल में लोगों को बिजली से वंचित रखा। बता दें सिंधिया और गोयल के बीच काफी तीखी बहस हो गई थी और दोनों ही नेता एक दूसरे पर व्यंग्य करने की भी कोशिश कर रहे थे। सिंधिया ने जब गोयल को टोकने की कोशिश की तो गोयल ने उनका मजाक उड़ाया। इसी बात पर स्पीकर महाजन ने चुटकी लेते हुए कहा- “जब वास्तविक्ता सामने आती है तो चोट लगती है।”
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बता दें कि बिजली मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि ‘‘केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के अनुसार भारत पहली बार बिजली के शुद्ध आयातक से शुद्ध निर्यातक बना।’’ बयान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2016-17 (अप्रैल-फरवरी) के दौरान भारत ने 579.8 करोड़ यूनिट बिजली नेपाल, बांग्लादेश तथा म्यांमा को निर्यात की। यह भूटान से आयातित करीब 558.5 करोड़ यूनिट बिजली से 21.2 करोड़ यूनिट अधिक है। नेपाल और बांग्लादेश को किया गया निर्यात पिछले तीन साल में क्रमश 2.5 और 2.8 गुना बढ़ा।