यह लाइसेंस दो वर्ष के लिए होगा और इस पहल से देश में अवैध प्रजनन कार्य कर रहे लोगों पर शिकंजा कसा जा सकेगा। व्यवस्था को लागू करने के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने प्रजाति प्रजनक अनुज्ञप्ति नियम 2023 तैयार किए हैं और इन नियमों की अधिसूचना भी जारी कर रही है। इस लाइसेंस के लिए संबंधित व्यक्ति को मुख्य वन्य जीव वार्डन के पास आवेदन करना होगा।

ये नियम देश के सभी राज्यों में लागू होंगे। इन आवेदन को आनलाइन या डाक के माध्यम से मुख्य वन्य जीव अधिकारी को भेजा जा सकेगा। इसके लिए संबंधित अधिकारी के पास पच्चीस हजार रुपए का शुल्क भी जमा करवाना होगा। जांच प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ही यह लाइसेंस जारी किया जाएगा। यह दो वर्ष की समय सीमा के लिए होगा। इसमें यदि जांच अधिकारी को किसी भी प्रकार की त्रुटि मिलती है, तो उसकी सूचना भी विभाग को संबंधित व्यक्ति को देनी होगी। इस त्रुटिपत्र के साथ आवेदनकर्ता का लाइसेंस फार्म भी उसे लौटा दिया जाएगा।

लाइसेंस मिल जाने के बाद संबंधित व्यक्ति को कृत्रिम तौर पर किए गए सभी परीक्षण और उनके परिणाम का भी पूर्ण विवरण रखना होगा। उस परीक्षण के संबंध में लिखित आदेश जारी करने होंगे और उसके बाद उन आदेशों की मुहरबंद प्रमाण पत्र की प्रति भी रखनी होगी। इस बाबत पर्यावरण मंत्रालय अपर वन महानिदेशक विवाश रंजन के आदेशों से नए नियमों की प्रति जारी की गई है।

प्रावधानों के तहत के तहत कोई भी अधिकारी इस प्रक्रिया के आवेदन करने वाले व्यक्ति को लाइसेंस दिए जाने के तीन मौके देगा और इसके बाद भी पूर्ण प्रकिया लागू नहीं होती है। तो उस स्थिति में आवेदन को नामंजूर कर देगा। माना जा रहा है कि इस व्यवस्था के लागू होने से कृत्रिम प्रजनन के लिए चल रही अवैध गतिविधियों को रोका जा सकेगा।