लॉरेंस बिश्नोई की कहानी जो अब मुंबई से लेकर ब्रैम्पटन तक फैली हुई है, एक तरह से यहीं से शुरू हुई, जोधपुर के करीब 450 घरों वाले गांव से। एक चौकोर कमरे के ऊपर काले हिरण की मूर्ति पर अपना दाहिना हाथ टिकाए 30 वर्षीय राकेश बिश्नोई ने नदियां एक्सप्रेस से कहा, “आपने सरकारों द्वारा जीव जंतु रक्षा बोर्ड (पशु कल्याण/संरक्षण बोर्ड) चलाने के बारे में सुना होगा लेकिन हम बिश्नोई लोगों का भी एक जीव जंतु रक्षा बोर्ड है और लॉरेंस बिश्नोई हमारे अध्यक्ष हैं।”

गांव में हिरण की एक मूर्ति लगी है जो उस काले हिरण को दर्शाती है जिसका शिकार कथित तौर पर अभिनेता सलमान खान ने 1998 में जोधपुर में इसी स्थान पर किया था। 26 साल बाद भी लॉरेंस, उसके आदमी और खुद को उसका आदमी बताने वाले लोग अभी भी इस घटना को लेकर अभिनेता को जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं ।

कांकाणी के ग्रामीणों से लॉरेंस बिश्नोई के खिलाफ बढ़ते आरोपों के बारे में पूछने पर वह कहते हैं कि लॉरेंस लंबे समय से गुजरात की साबरमती जेल में बंद है। समुदाय के नेता 64 वर्षीय हीराराम बिश्नोई, जिनकी पत्नी समदु कांकाणी की सरपंच हैं वह कहते हैं, “लॉरेंस को बेवजह बदनाम किया जा रहा है। नेता केवल उसका नाम इस्तेमाल कर रहे हैं, बाद में इसी को उड़ा देंगे।”

पर्यटक पहुंचते हैं उस जगह को देखने जहां सलमान ने हिरण को मारा था

कांकाणी केवल लॉरेंस लिंक की ही सराहना नहीं करते बल्कि उन पर्यटकों की भी सराहना करते हैं जो अब उस स्थान को देखने के लिए आते हैं जहां सलमान ने कथित तौर पर काले हिरण का शिकार किया था। 32 वर्षीय मनोज बिश्नोई, जो ‘बिश्नोई विलेज कैंप एंड रिजॉर्ट’ चलाते हैं कहते हैं, “लोग खुद ही उस जगह के बारे में पूछते हैं जहां सलमान ने हिरण को मारा था।”

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हिसार से अंग्रेजी के लेक्चरर राजीव कुमार तीन अन्य लोगों के साथ यहां आए हैं। 42 वर्षीय राजीव कुमार कहते हैं, “उन्हें सोशल मीडिया के ज़रिए स्मारक के बारे में पता चला। हम सभी बिश्नोई हैं और यहां दर्शन (श्रद्धांजलि देने) के लिए आए हैं।” उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि राजनीतिक दबाव और प्रलोभनों के बावजूद काले हिरण मामले में गवाहों ने अपनी गवाही नहीं बदली है।

सलमान से उनकी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं- बिश्नोई समाज

मूर्ति के इर्द-गिर्द जमा हुए अन्य लोगों का कहना है कि सलमान से उनकी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। स्थानीय समुदाय के 75 वर्षीय नेता बिंजा राम कहते हैं, “अगर हम चाहते तो सैफ को निशाना बना सकते थे ( कथित घटना के समय सैफ अली खान सलमान के साथ थे) क्योंकि वह नवाब हैं लेकिन हम सलमान के अलावा किसी का विरोध नहीं करते, क्योंकि उन्होंने ही काले हिरणों को मारा था।”

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दिसंबर 2021 में कांकाणी के कुछ स्थानीय लोगों द्वारा बनाए गए एक व्हाट्सएप ग्रुप में काले हिरण स्मारक का विचार आया। 35 वर्षीय प्रेमा राम बिश्नोई कहते हैं, “हमने इस बारे में लंबे समय तक सोचा लेकिन यह विचार कभी बातचीत से आगे नहीं बढ़ पाया।” प्रेमा कहते हैं कि एक बार जब ‘कृष्ण मृग उद्यान’ या ‘ब्लैक डियर पार्क’ नाम का व्हाट्सएप ग्रुप बना, तो उन्होंने तेजी से काम करना शुरू कर दिया।

2022 में हुआ काले हिरण की मूर्ति का अनावरण

उन्होंने जोधपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) को बताया, जिसके पास ज़मीन का स्वामित्व है कि यह उद्देश्य हमारे दिल के कितने करीब है कि हमें जन्म से ही जानवरों से प्यार करना और उनकी देखभाल करना सिखाया जाता है। जिसके बाद जेडीए की मंज़ूरी मिल गई और जनवरी 2022 तक स्मारक की आधारशिला रख दी गई।

प्रेमा का दावा है, “सैकड़ों लोगों ने योगदान दिया, कुल खर्च करीब 10 लाख रुपये आया।” काफी विचार-विमर्श के बाद जोधपुर के मूर्तिकार शंकर को लोहे के फ्रेम और सीमेंट से बनी काले हिरण की मूर्ति बनाने के लिए चुना गया। इसके ऊपर एक मृत काले हिरण के दो सींग लगाए गए और 18 अगस्त, 2022 को मूर्ति का अनावरण किया गया। मूर्ति के अलावा यहां केवल खाली, ताला लगा कमरा है जिस पर यह मूर्ति टिकी हुई है।