लॉ कमीशन ने NRIs की भारतीय शादी को लेकर कानून बनाने की सिफारिश की है। लॉ कमीशन ने कहा कि एनआरआई और भारतीयों नागरिकों के बीच विवाह के मामलों में धोखाधड़ी हो रही है और ये काफी चिंताजनक है। लॉ कमीशन के अनुसार एनआरआई और भारतीयों नागरिकों के बीच शादियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करना चाहिए।

लॉ कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस (रिटायर्ड) ऋतुराज अवस्थी ने विधि मंत्रालय को एनआरआई और भारतीयों नागरिकों के बीच शादियों से संबंधित वैवाहिक मुद्दों पर कानून नाम की एक रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट के अनुसार आयोग चाहता है कि प्रस्तावित कानून NRIs और भारतीय मूल के प्रवासी विदेशी नागरिकों (OCI) के भारतीय नागरिकों के साथ विवाह से जुड़े सभी पहलुओं को पूरा करने के लिए रजिस्ट्रेशन होना चाहिए।

ऋतुराज अवस्थी ने गुरुवार को कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को लिखे अपने पत्र में कहा, “NRIs और भारतीय नागरिकों के बीच शादी में बढ़ती धोखाधड़ी के मामले चिंताजनक है। कई रिपोर्ट इसको उजागर करती हैं जहां ये शादियां धोखाधड़ी साबित होती हैं। इन शादियों से भारतीय पति-पत्नियों, विशेषकर महिलाओं को अनिश्चित परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।”

आयोग ने कहा कि इस तरह का कानून न सिर्फ एनआरआई, बल्कि भारतीय मूल के प्रवासी विदेशी नागरिकों (OCI) के दर्जे के साथ आने वाले लोगों पर भी लागू होना चाहिए। ऋतुराज अवस्थी ने कहा, “यह भी सिफारिश की गई है कि एनआरआई/ओसीआई और भारतीय नागरिकों के बीच सभी विवाहों को भारत में अनिवार्य रूप से रजिस्टर्ड किया जाना चाहिए।”

प्रस्तावित कानून में तलाक, जीवनसाथी के भरण-पोषण, बच्चों का भरण-पोषण, एनआरआई तथा ओसीआई को समन, वारंट या न्यायिक दस्तावेज का भी प्रावधान शामिल करने की मांग की है। जस्टिस अवस्थी ने पत्र में कहा, ‘‘वैवाहिक स्थिति की घोषणा, पति-पत्नी के पासपोर्ट को एक-दूसरे के साथ जोड़ना और दोनों के पासपोर्ट पर विवाह रजिस्ट्रेशन नंबर का होना अनिवार्य करने के लिए पासपोर्ट अधिनियम, 1967 में अपेक्षित संशोधन किए जाने की आवश्यकता है।”