भारत और चीन के बीच रिश्तों में आई तल्खी के बीच दोनों देशों ने कूटनीतिक स्तर पर अपने तंत्र को सक्रिय कर दिया है, ताकि रिश्ते सामान्य करने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए जा सकें। इस कूटनीतिक तंत्र की स्थापना साल 2012 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हुई थी। बीजिंग में तत्कालीन भारतीय राजदूत एस जयशंकर ने उस पर हस्ताक्षर किए थे। मौजूदा दौर में एस जयशंकर देश के विदेश मंत्री हैं। यह प्रयास मिलिट्री लेवेल पर होने वाली बातचीत से हटकर है और जमीनी स्तर पर तनाव को घटाने के लिए है।
“भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र” (WMCC) जनवरी 2012 में तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) शिवशंकर मेनन और उनके चीनी समकक्ष दाई बिंजुओ के बीच सीमा वार्ता के बाद स्थापित किया गया था। दोनों पक्षों की तरफ से संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों ने इसकी अध्यक्षता की थी। तब एक विशेष प्रतिनिधि को सीमा वार्ता के लिए मदद करने पर सहमति बनी थी, जो वर्तमान में एनएसए अजीत डोभाल के पास है।
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फिलहाल, विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) नवीन श्रीवास्तव भारतीय दल की अगुवाई कर रहे हैं। उधर, चीन की तरफ से चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा और महासागरीय मामलों के विभाग के महानिदेशक हांग लिआंग नेतृत्व कर रहे हैं। साल 2012 के बाद अब तक इस टीम ने 14 बार बैठकें की हैं। अंतिम बैठक जुलाई 2019 में हुई थी। हालांकि, ये विशेष प्रतिनिधियों की तुलना में अधिक बार मिल चुके हैं।
पिछली बैठक में प्रभावी सीमा प्रबंधन के लिए दोनों देशों के नेताओं द्वारा रखे गए महत्वपूर्ण बिंदुओं के अनुसार, दोनों पक्षों ने सीमा क्षेत्रों में स्थिति की समीक्षा की थी। इस दिशा में, दोनों पक्षों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए WMCC ढांचे के तहत सैनिकों और राजनयिक स्तरों पर बातचीत के बिंदुओं को नियमित तौर पर आदान-प्रदान करने पर जोर दिया था।
मौजूदा स्थिति में, श्रीवास्तव को कूटनीतिक स्तर पर बातचीत का नेतृत्व करने के लिए कहा गया है। दोनों देशों के बीच बने कूटनीतिक तंत्र का जनादेश स्पष्ट है: “सीमा की स्थिति पर ससमय सूचना का संचार और “उचित रूप से सीमा रक तनाव की घटनाओं को संभालना।” भारत का आकलन है कि चीनी सेना “लकीर को पकड़े” रहने के रूप में जानी जाती है, जबकि दोनों देशों के बीच कोई सहमति से बनी LAC नहीं है। बावजूद इसके दोनों तरफ की सेना अपने-अपने दावे की लाइन तक पैट्रोलिंग करती रही है और फिर वापस आते रहे हैं। मौजूदा दौर में ऐसा प्रतीत होता है कि लद्दाख में चीनी सेना अपने दावे और धारणा की लाइन (LAC) को क्रॉस करते हुए उकसावे की कार्रवाई कर रही है।