भारत और चीन के कोर कमांडर्स के बीच दसवें दौर की बैठक शनिवार देर रात दो बजे तक चली। दोनों देशों के बीच दूसरे चरण के डिसइंगेजमेंट पर 16 घंटे तक बातचीत हुई लेकिन हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग जैसे क्षेत्रों को लेकर चल रहा विवाद अभी तक नहीं सुलझ सका है। उधर, भारत सरकार ने चीन की तरफ से आए (एफडीआई) फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट प्रस्तावों को मंजूरी देना शुरू कर दिया है।
सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ सप्ताह से चीन की तरफ से मिले छोटे स्तर के एफडीआई प्रस्तावों को मंजूरी देने का काम शुरू कराया गया है। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि इस तरह के बड़े प्रस्तावों पर सरकार स्थितियों का आकलन करने के बाद ही विचार करेगी। फिलहाल चीन के एफडीआई प्रस्तावों पर चर्चा के लिए गृह, विदेश, कॉमर्स, इंडस्ट्री मंत्रालयों के साथ नीति आयोग के अफसरों की एक समन्वय समिति बनाई गई है। उनका कहना है कि कमेटी फॉरेन इन्वेस्टमेंट बोर्ड की तरह से काम नहीं करेगी, बल्कि यह केवल चीन ,से मिले प्रस्तावों को संबंधित मंत्रालय में भेजने का काम करेगी। फॉरेन इन्वेस्टमेंट बोर्ड सभी तरह के एफडीआई को देखकर उन पर अपना फैसला देता है, लेकिन यह कमेटी केवल चीन से मिले प्रस्तावों पर ही चर्चा करेगी।
उधर, भारत और चीन के कोर कमांडर्स के बीच दसवें दौर की बैठक में पहले चरण के डिसइंगेजमेंट पर संतोष जताया। दूसरे चरण के लिए पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी के डेपसांग प्लेन, गोगरा और हॉट स्प्रिंग में दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने पर बातचीत हुई। लेकिन सूत्रों का कहना है कि अंतिम सहमति अभी तक नहीं बन सकी है। भारत-चीन के बीच सैन्य गतिरोध को नौ महीने हो गए हैं। दोनों देशों के बीच पिछले साल पांच मई को पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक संघर्ष के बाद सैन्य गतिरोध शुरू हुआ था। फिर हर रोज बदलते घटनाक्रम में दोनों पक्षों ने भारी संख्या में सैनिकों और घातक अस्त्र-शस्त्रों की तैनाती कर दी थी। गतिरोध के लगभग पांच महीने बाद भारतीय सैनिकों ने कार्रवाई करते हुए पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर क्षेत्र में मुखपारी, रेचिल ला और मगर हिल क्षेत्रों में सामरिक महत्व की कई पर्वत चोटियों पर तैनाती कर दी थी।
नौवें दौर की सैन्य वार्ता में भारत ने विशेषकर पैंगोंग झील के उत्तरी क्षेत्र में फिंगर 4 से फिंगर 8 तक के क्षेत्रों से चीनी सैनिकों की वापसी पर जोर दिया था। वहीं, चीन ने पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर पर सामरिक महत्व की चोटियों से भारतीय सैनिकों की वापसी पर जोर दिया था। समझौते के बाद दोनों पक्षों ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी छोर क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। अस्त्र-शस्त्रों, अन्य सैन्य उपकरणों, बंकरों और अन्य निर्माण को भी हटा लिया है। 10वें दौर की वार्ता में चर्चा का मुख्य बिंदु अन्य इलाकों से भी वापसी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का था। पैंगोंग झील क्षेत्र से सैन्य वापसी की प्रक्रिया 10 फरवरी को शुरू हुई थी जो गत गुरुवार को पूरी हो गई थी।
