कुवैत की एक इमारत में बुधवार की सुबह आग लग गई। जिससे 49 लोगों की मौत हो गई और 30 के करीब घायल हो गए। जानकारी के मुताबिक मरने वालों में 40 भारतीय शामिल हैं। जिन लोगों की पहचान हो सकी है उनमें अधिकतर केरल के रहने वाले थे। वह कुवैत रहकर अपने परिवारों की खुशहाल जिंदगी के लिए अलग-अलग काम कर रहे थे।
एक ऐसा मैकेनिक जो सुपरवाइजर बन गया, एक इलेक्ट्रीशियन जिसने अकाउंटेंसी सीखी, सब अब इस आग के हवाले हो गए और अधूरे छोड़ गए कुछ ख्वाब और उम्मीदें। मारे गए लोगों में 48 साल के वडक्कोट्टुविलायिल लुकोस (Vadakkottuvilayil Lukose) भी थे, वह बतौर सुपरवाइजर NBTC ग्रुप के साथ काम कर रहे थे। उन्हें इस ही महीने केरल वापस आकर अपनी बेटी का कॉलेज में एडमिशन कराना था।
बेटी के कॉलेज में दाखिला दिलाने के लिए घर आने वाले थे लुकोस
लुकोस केरल में कोल्लम के आदिचनल्लूर पंचायत से थे और पिछले 18 सालों से कुवैत में रह रहे थे। पंचायत के एक सदस्य एल शाजी ने बताया कि उन्हें अपनी सबसे बड़ी बेटी लिडिया के कॉलेज एडमिशन के लिए अगले महीने घर आना था, जिसने सभी विषयों में ए-प्लस के साथ 12वीं पास की थी। लुकोस उसके नतीजों बहुत खुश थे। वह कुवैत जाने से पहले अपने घर पर मैकेनिक का काम करते थे।उनके परिवार में उनकी पत्नी शाइनी और दो बेटियां हैं।
घर आने वाले थे रंजीत
आग के हवाले हुए 33 साल के रंजीत NBTC के साथ अकाउंटेंट के तौर पर काम कर रहे थे। उनके एक दोस्त ने बताया कि वह छुट्टी पर थे लेकिन उनका टिकट नहीं बन पा रहा था तो वहीं लेबर कैंप में ही रुक गए। रंजीत की शादी नहीं हुई थी, वह पिछले 10 साल से कुवैत में थे। वह पेशे से इलेक्ट्रीशियन थे और अकाउंटेंट के पद पर जाने से पहले एनबीटीसी के कैटरिंग सेक्शन में शामिल काम करते थे। उनके दोस्त शिवप्रसाद ने बताया कि वह दो साल पहले घर आए थे जब उनका नया घर बना था। इस बार वह आकर शादी करने वाले थे।
30 साल के शमीर उमरुद्दीन की भी मौत हो गई है। वह कोल्लम के सस्थमकोट्टा के रहने वाले थे और एनबीटीसी ग्रुप में ड्राइवर के तौर पर काम कर रहे थे। उनके रिश्तेदार सावद ने बताया कि वह पिछले पांच सालों से फर्म में काम पर थे। कुवैत जाने से पहले वह कोल्लम में भी ड्राइवर थे। शमीर आठ महीने पहले केरल आए थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी सुरुमी और माता-पिता उमरुद्दीन और सबीना हैं। उनकी शादी तीन साल पहले हुई थी और वह परिवार चलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।